देश - रत्न | Desh - Ratna

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Desh - Ratna by राजर्षि पराशर - Rajrshi Parashar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रामकथा की पृष्ठभूमि श्श्‌ ज्ही वया मुसलमानों में फूट नहीं ? कया झायेंसमाजियो में पार्टी जाजी नहीं भौगोलिक दृष्टिकोण से झ्रार्यों तथा राक्षसो के भ्ते ही दो भिन्‍न- भिन्‍न नाम हो जैसे एक ही सस्कृति को मानने वाले एक ही देश में रहने वाले लोगो को पब्जाबी गूजराती मराठी इत्यादि भिन्न-भिन्न सामो से पुकारा जाता हैं। वास्तव में दोनो का मूल एक ही थ। । इन दोनो मे परस्पर सम्बन्ध भी होते थे । तभी तो स्वरूपनखा को राम के सामने विवाह का प्रस्ताव रखने का साहस हुस्न । राम के समय जो लका का. राजा रावण था पितृ पक्ष से उसका मार्यों के साथ श्रत्यन्त निकट सम्बन्ध था । ऋषि पुलस्त्य ने झ्रास्ट्रेलिया निवासी राजा तृणविन्दु की कन्या से विवाह किया । उससे एक पुत्र पैदा हुभ्रा विश्ववा । विश्ववा का विवाह प्रयागराज के ऋषि अरद्वाज की कन्या से हुआ । उससे पुत्र हुआ वंश्रवण जिसे साधारण भाषा में कुवेर भी कहा जाता है। विश्ववा बडा वीर पुरुष था । भूजबल से लका के राजा को परास्त कर स्वय वह लकाधिपति बन बैठा । परास्त राजा सुमाली ने श्रपनौ पुत्री कैकसी का विवाह विश्ववा के साथ कर दिया । कंकसी के तीन पुत्र हुए और एक पुत्री । रावण कुम्म करण विभीषण तथा शुूर्पनखा । + विश्रवा की मृत्यु के परचात ज्येष्ठ पुत्र कुवेर का ही एक मात्र श्रधघिकार था कि वह लका का राजा बनता परन्तु कंकसी को यह कब सहन हो सकता था| । अपने पुत्रों के रहते २ वह एक विदेशी की लका की गद्दी पर बेठते हुझा कंसे देख सकती श्राखिर सामन्तो के साथ मिल कर उसने कुबेर को समाप्त कर देने का षड्यन्त्र एर्वाया । घ्रजा को तो कुवेरके साथ कोई सहानुभूति न थी । मन्त्रीमण्डल की दृष्टि से भी कुबेर एक विदेशी ही था अत रात-रात में कुबेर के महल को विस्फोट द्वारा उड़ा देने का पड्ूयन्तन्र रचाया गया । कुबेर सौभग्यवश जान से तो बच गया परन्तु तस्क्षण लका द्वीप को छोड़ कर उसे अझ्यत्र कहीं




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