सर्वोदय पद - यात्रा | Sarvoday Pad Yatra
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.84 MB
कुल पष्ठ :
231
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रामराज्य का स्वावलंवी माय ११
गाड़ी से जाने में देर लगदी है; अव तो जल्दी ले जानेवाले हवाई
जहाज निकले हे, इन दिनों पैदल चलना यह वो एक ख़ब्त ही
है ?” लेकिन यह पागलपन इसीलिए है कि आप लोगों से
मिल सकूं, जापके सुय-दुःख सुन सं, आपसे संपक प्राप्त कर
सकूँ; संवंध कायम कर सकूं। इसीलिए मैं आया हूँ । अब कल
रालेगॉव जाना है। सवेरे ४ वजे चलेंगे । दोपहर ११ वजे तक
पहुँचेंगे; फिर खाना-पीना होगा । हमे कुछ छियना होवा है, बह
ससके चाद लिखेगे और शाम को ४ बजे गॉव के लोगो से वात
करेंगे। शाम को प्राथता करेंगे । सब मिलकर ईश्वर का नाम
लेंगे और सबको ईश्वर का नाम लेना सिखायेगे। रात को भगवान्
की गोद में सोयेंगे और परसो फिर अगले मुकाम को जायेंगे ।
ऐसा हमारा कार्यक्रम है ।
तेरी जिम्मेवारी तुकी पर
“आज भी यहाँ के छोग दोपहर को मिलने आाये थे । उनसे
चहुत-सी बाते हुईं । उन्होंने किसानों की अड्चनें वतलायीं | वे
बोले कि' आगे चछकर ऐसी स्थिति आने का डर है कि मजदूरों
को खाने के लिए ज्वार भी न मिंले। भीर पूछने ठगे कि अब
हमारे गॉव के और दूसरे गॉवों के मजदूरों का क्या दोगा ? मैंने
उनसे जो कहा; वह संत्तेप में वतलाता हूँ. । तुकाराम मददाराज ने
हमको सियाया दै कि “तुर्ें आदे तुजपाशी, परि तूं जागा
युकछासी ।” तेरा जो छुछ दे बह तेरे ही पास है; लेकिन तू
स्थान भूल गया है. और दूसरी ही तरफ रोज रहा है। कहता
है कि सरकार मेरे लिए क्या करेगी) और डिप्टी कृमसिश्नर क्या
करेगा; और मंत्री क्या करेगा ? परन्तु तेरे छिएं तू. दी करेगा 1
हुमे जय थकावट होगी; तव तू ही सोयेगा; दूसरा नहीं सोयेगा;
सुमे जच भूख लगेगी, तब तू ही यायेगा; दूसरा नहीं सायेगा;
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