समाज शास्त्र तथा बाल कल्याण | Samaj Shastra Tatha Bal-kalyay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.88 MB
कुल पष्ठ :
328
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।
पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रे मानवीय-एपणाएँ या प्रेरक सएन&ार हरानिया& पर एप्ााएंड सौतिक-जगत् में कुछ नियम काम कर रहे हें । इत नियमों का पता लगाना भौतिक-विज्ञानों का--भौतिकी रसायन-शास्त्र यान्त्रिकी आदि विद्याओं का--काम है। इन विज्ञानों से जो भौतिक-नियम पता लगते हूं उनमें एक प्रकार की निश्चयात्सकता अपरिवतेनद्ीठता स्थिरता फ़ाश ४ पायी जाती है । अगर यह नियम पता लगा लिया गया कि पृथिवी में भारी पदार्थों को अपनी तरफ़ खींचने की वाक्ति है तो वह हर पदा्थे को खीं चेंगी और सदा खींचेगी । यह नहीं हो सकता कि एक वीज को खींचे दूसरी को न खींचे । अगर यह पता लगाया गया कि ऑवसीजन तथा हाइड्रोजन जब पास-पास आयेंगे तव मिलकर पानी बना देंगे तो हर हालत में यह वात निचयात्मक रूप में स्थिर रूप में अपरिवतंतीय रूप में होकर रहेगी । भौततिक-जगत् के इसी स्थिरता के तत्व के आधार पर हम भौतिक-जगत् की अनेक घटनाओं के विपय में पहले से वतला सकते हैं कि यह वात इस प्रकार होकर रहेगी । हम यह वतला सकते हें कि अमुक दिन चन्द्र-प्रहण होगा कल-परसों महीने बाद साल वाद सूर्य इतने वे इतने सिनट और इतने सेकण्ड पर उदय होगा । यह सब- कुछ इसलिए किया जा सकता हैं क्योंकि भौतिक-जगत् के नियमों में स्थिरता ़ंश ए का तत्व काम कर रहा होता है। २
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