मध्यकालीन यूरोप का इतिहास | Madhyakalin Europe Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रोमन साम्राज्य का पतन ] [डी रोमवासी पू्व-परिचित थे और वस्तुत: चौथी शताब्दी तक गाँय एवं भंडाल जाति के लोग रोमन साम्राज्य में बहुत दड़ी संख्या में प्रविष्ट हो चुके थे । जर्मन एवं अन्य बर्वेर जातियों के लोग वहुत वड़ी संख्या में रोमन सेना में सम्मिलित हो ये थे और रोमवासियों के सभो कानूनी मधिकार उन्हें प्राप्त हो गये थे । सैनिक सेवा करते हुए वहुत्त-से वर्षर साम्राज्य के उच्च प्रशासकीय पदों पर आासीन हो गये थे । रोसन साम्राज्य के प्रति उनकी निष्ठा में किसी को सन्देह. भी नहीं होता था । साम्राज्य के अनेक सम्भ्रान्त परिवारों में उनके वैवाहिक सम्वन्ध भी स्थापित हो गये थे । रोमन साम्राज्य के अन्दर रहनेवाली और रोमन सेना में शामिल बबेर जातियों एव साम्राज्य की सीमा के वाहर रहनेवाले बबर लोगों में केवल इतना ही अन्तर था कि प्रथम श्रेणी के लोग रोमन सम्राटों के वेतनभोगी, अधिक अनुशासित अपैर सम्य थे, जब कि दुसरी श्रेणी के. लोग बनुशासनहीन, मधिक असम्य और सत्यघिक विपनता-- वसंया; में थे... रोमेन साम्राज्य की सीमा पे वाहर अफ़िका में मूर, पश्चिमी एशिया में अरब गौर ईराती, मध्य एशिया के पंठार और कंस्पियन उराल-अलटेइक लानावशेश :और उत्तर-पश्चिमी में : जम॑ंन तथा सेल्ट जाति के . लोग रहते थे ।' उराल-अलटेइक वर्ग के अन्तगंत .सीथिंयन, 'मंगयर, मंगोल; लुक, 'तातार अभार,: बुलेगार' गौर के लोग थे । पाँचवीं शताब्दी में इन्हीं लोगों के 'मांक्रमण से-पद्चिम रोमन साम्राज्य छित्न-भिन्‍त हो गया । डायोक्लेशियन के शासन-काल में मूर, सीरियन, मरब भर जमंत जाति के लोग बहुत दड़ी संख्या में रोमन सेना में शामिल हो गये । इससे रोमन साम्राज्य में प्रवेश करने वले मूरों, अरबों और जमंनों की वाढ़-सी मा गई । कभी-कमी तो पूरी-की-पूरी जातियां जसे भिसिंगाँध और महाल आदि रोमन साम्राज्य में मित्र-जातियों . के रूप में सम्मिलित कर ली गयी और उन्हें साम्राज्य की सीम!ओं को रक्षा का भार दिया गया । इस. व्यवस्या का साम्राज्य की सुरक्षा पर घातक प्रभाव पड़ा । कुछ उच्चस्थ रोमन अधिकारियों के- दुष्यंवहार के कारण गाँव जाति के लोग रोमन साम्राज्य के विरुद्ध उठ खड़े हुए और ३७८ ई० में एड्रियानोपुल की लड़ाई में बालेन्स (851605) की: हत्या-हो गई । सम्रादु थियोडोसियस ने शान्ति की स्थापना की बौर उसके शासन- काल में गाँय निष्ठापूर्वेक सा्रःज्य की सीमाओं की रक्षा करते रहे। थियोडोसिपस, के शासन-दकाल . में ही स्टिलिको नामक मंडाल संतिक अत्यस्त शक्तिली हो गया. गौर जब थियोडोसियस का पुन्न होनोरियस ३९४ ई० में पश्चिमी रोमन साम्राज्य का सम्रादू बना तव स्टिलिको को पेट्रीसियस की उपाधि दी गई भर उसे रोम, सेना का सेनपति नियुक्त किया गया । वाद में उसकी कन्या को होनो- रिधस से विवाह हुआ और वह पश्चिमी साम्राज्य का ' हो गया । भिसीगॉथ




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