राजस्थानी बात साहित्य : एक अध्ययन | Rajasthani Baat Sahitya : Ek Adhyyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
257
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परिचय एवं परम्परा ३]
के अनिरिक्त बहुत से कथाकोशों की रचना हुई है जिन में नथनंदी का सयलविहिविहाणकब्बु
(सकलविधिविवानकाव्यम्), श्रीचंद्र का कहकोसु (कथाकोश) तथा दंसणकहरयणकरंडु
(दक्ष॑नकथारलकरण्डक), हरिपेण का धम्मपरिकल (धमेपरीक्षा), भ्रमरकीतति का वकम
मुवएसो (पट्कमोपदेः) शरतकीत्ति का परमिट्ठपयाससारू (परमेष्ठिप्रकाशसारः) श्रादि
ग्रंथ प्रसिद्ध हैं* ।
शप्र के वाद झाघुनिक भारतीय झायंभापाओं का विकास प्रारंभ होता है, इन्ही
में राजस्थानी भी सम्मिलित है 1
बात का स्वरुप एवं परिभाषा
राजस्थानी गय-साहित्य प्राचीन तथा सुविस्तृत है । चौहदवीं शताब्दी से श्रब तक
इम भँ श्रनेक प्रकार की वहुसंख्यक रचनाएं होती रही है । भ्रमी तक राजस्थावके ग्रथ
भण्डारों की पूरी खोज नहीं हो पाई है। जब यहाँ समुचित खोज का कार सम्पन हो
चुकेगा तो बहुत श्रधघि ह साहित्य-साग्रमी प्रकाश में श्राएगी, इसकी पूरी संभावना है। राज-
स्थानी गद्य का पूणणों वभव भी तमी प्रकट होगा । झधावधि जो सामग्री प्रकादा में श्राई
हैं, उसकी विविध विधाओं का सक्षिप्त परिचय श्रागे दिया जाता है5 ।
राजस्थानी गद्य को दिधाएं
१ श्पात :-प्यात शब्द संस्कृत के ख्याति का विकसित रूप है । ख्यातमंथों में इतिहास
के लिए उपयोगी सामग्री पर्याप्त रूप में प्राप्त होती है । श्रनेक स्यातें राजकीय व्यवस्था
में लिखी गई हैं तो कई व्यवितगत रूप से भी तंयार हुई हैं। इन में मुंहता नंगसी की
स्यात, वा्ीदास की ख्यात श्ौर दयालदास की ख्यातं श्रादि प्रसिद्ध हैं। इन तीनों की
अपनी अपनी विशेषताएं हैं । प्रथम में संग्रह को वृत्ति है, द्वितीय में फुटकर टिप्पणियाँ
है भौर तृतीय में क्रमबद्धता है ।
पिएएएप
१. जैन परम्परानु' अपन्नश सांहित्पर्मा प्रदान (डा, है. थु. मायाणी), नाचार्यविजय घर्लभ मूरि स्मारक
ग्रथ।
२ राज्यानो नापा भौर साहित्य (डॉ० मोतीलाल मेनारिया, सं, २०१७, पृष्ठ दे६०।
है राजस्थानी गद्य साहित्य, उद्भव और विकास ग्रंथ द्रष्टव्य है।
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