उड़ीसा में जैन धर्म | Udisa Men Jain Dharm
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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एयावाणी रौर ऋष्यश्डग
वेबिलोन कं प्राचीन इरेक राज्यमेंजो इयावाणीथे श्रोर
भारतम अ्रगदेशके जो ऋषटष्यण्यू ग थे,इन दोनोकं उपाख्यानोका
उल्लेख जरूरी है । इन दोनो उपाख्यानोमें विद्रोहके झ्रादिम
जैनोका निद किया गया है इसतृष्णा-त्याग तथा इन्द्रियसयम
मे इनके लोरोत्तर आध्यात्मिक श्रौर चारीरिक वलके प्रकाद्य
की वात इन उपाष्नो से मिलती है । ये दोनो रहते मे बनमें,
खति थे फल पल, पीते थे भरने का पानी भ्रौर बसते थे पञ्च
पक्षियों के साथ, दोनो उपाख्यानो मे है कि स्थानीय राजाओं
ने इन्हें सुन्दरो के लोभमें भुलाकर श्रपते शहरमें लाकर
असाध्यसाघन क्रियाया । मारतके ऋष्य्युग का उपाख्यान
इष इथावागो (कुछ लोगो ने पठा है 'एकिडोः) के उपाख्यान
से मिलना जलता है । फर्क यह है कि ऋष्यन्ड ग॒ “उपाख्यान
पुराप्रा-परम्परा में उपलब्ध है, लेकिन 'इयावाणी.-.उपास्पान
श्रत्यत प्राचीन लेख में मिलता है। उस हिसाव से यह
आजसे ५००० साल से अधिक पुराने जमाने की बात है । यह
उस जमाने के सुमेर देशके इरेक देशकी वात है ।
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