अद्योग और व्यवसाय की दुनिया | Aadhunik Udhyog Aur Vyavsay Ki Duniya
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
157
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१९
वाम को वे विध्द दी झाघार-शिला मानते थे । वे इस वात
में विश्वास करते थे कि दिसी वस्तु में हमेशा सुधार करने
वी गुजाइघ रहती हूँ । हम मजिल पर पहुँच गये है, श्रव
हमें प्रागे वढने की श्रावय्यकता नहीं है, इस प्रकार की नीति
के वे विरुद्ध थे । निरन्तर प्रयोग, परिवर्तन तथा विकास--फोड
कम्पनी के पीन श्राधारभूत सिद्धाल थे । इन सिद्धान्तो को
बाये रुप में पर्शिणत करते रहने क॑ कारण हो इस कम्पनी
ने घन्तर्सप्ट्रीय रयाति प्राप्त कर ली । जब पाँच डालर वी
योजना बाम में श्राई तो इस कम्पनी में उन लोगों की भी
रोजगार मिला जो विकलाग थे, जिनके हाय-पैर नही थै
श्रयवा जिनकी दृष्टि जाती रही थी |
फोर्ड में श्रमिमान की मात्रा नही थी । वह बनव में नहीं
जाने थे, न किसी प्रवार के वाद-विवाद में हो भाग लेते थे ।
उनका प्रमुप उहप्य था काम करना श्रौर दुनियाँ को सुखी
बनाना । जद जब विश्व के कमंठ उद्योगपतियों वी चर्चा
होगी, हेमरी फोर्ड का नाम श्रादर ब्रौर सम्मान के साथ
लिया जायगा ।
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