अद्योग और व्यवसाय की दुनिया | Aadhunik Udhyog Aur Vyavsay Ki Duniya

Aadhunik Udhyog Aur Vyavsay Ki Duniya by कन्हैयालाल सहल - Kanhaiyalal Sahal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१९ वाम को वे विध्द दी झाघार-शिला मानते थे । वे इस वात में विश्वास करते थे कि दिसी वस्तु में हमेशा सुधार करने वी गुजाइघ रहती हूँ । हम मजिल पर पहुँच गये है, श्रव हमें प्रागे वढने की श्रावय्यकता नहीं है, इस प्रकार की नीति के वे विरुद्ध थे । निरन्तर प्रयोग, परिवर्तन तथा विकास--फोड कम्पनी के पीन श्राधारभूत सिद्धाल थे । इन सिद्धान्तो को बाये रुप में पर्शिणत करते रहने क॑ कारण हो इस कम्पनी ने घन्तर्सप्ट्रीय रयाति प्राप्त कर ली । जब पाँच डालर वी योजना बाम में श्राई तो इस कम्पनी में उन लोगों की भी रोजगार मिला जो विकलाग थे, जिनके हाय-पैर नही थै श्रयवा जिनकी दृष्टि जाती रही थी | फोर्ड में श्रमिमान की मात्रा नही थी । वह बनव में नहीं जाने थे, न किसी प्रवार के वाद-विवाद में हो भाग लेते थे । उनका प्रमुप उहप्य था काम करना श्रौर दुनियाँ को सुखी बनाना । जद जब विश्व के कमंठ उद्योगपतियों वी चर्चा होगी, हेमरी फोर्ड का नाम श्रादर ब्रौर सम्मान के साथ लिया जायगा ।




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