रामचरित मानस सुंदर कांड | Ramcharit Manas sundar Kand
श्रेणी : पौराणिक / Mythological, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.47 MB
कुल पष्ठ :
154
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गोस्वामी तुलसीदास - Goswami Tulsidas
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पं ० रामकृष्ण शुल्क - Pn.Ramkrishan Shulk
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)व रे .3
इस थोड़े से कपन का सारांश यही है कि, इस किसी भी इृष्टि से
देखें, रामचरितिमानस संसार के साहित्य में एक घद्ुत म६तव का
भ्रन्थरतन है । उसका मद 'ननता के लिए तो दे
सुलसीदास जी “दो, परन्तु तुलसीदास भी 'के लिए भी 'उंसका 'सददरंव
तथा समायणु कम नहीं दै। 'पदि चुलसीदास ने रांमचरिंतसानस
का मद. को घना फर झंपनी प्रतिभा द्वारा उसे 'मरत्व प्रदान
किया ए तो रामचरितिमानस ने भी तुमसींदीस जी
के अमर बनाया ऐ ।'यंदि तुलसीदास ली ने फेप रामेदरितंमानस ' ही
'लिखा होता, दूसरे प्रंथ न लिखे 'दोते, ती 'भी उनका यश धर 'साहाहय
शतना ही विशाल होता जितना घय है। परन्तु यंदि उन्होंने भव्य सब
प्रंथ हो लिसे पोते प्र रामर्चरितिमानस न लिखा होता तो सन्देद्र किया
का सफता है कि उनकी कीति फदा चित इतनी व्यापक और इतनी चिरस्पापी
'नद्दोती । रामघरितिमानस के द्वारा तुलसीदास जी हमारे सामने फवि
के अतिरिक्त धौर मी फितने दो रूपों में उपस्थित दोते हैं । वह जीवन
के प्रायेक सांग में इमारे पथप्रदुशक हैं। व शूदषस्थ हैं परन्तु विरक्त
'मदात्मा भी हैं, समाज से उनका कोई नाता 'नदीं तथापि वह सच्चे
समान-सुधारक हैं, मतमतान्तरों शरादि के भेद से 'कंगबते हुए शथता
कुसामंगामी सनुष्यों के लिए पट कहीं सदु धर 'फ्ीं कठोर न्यायाधीश
हैं, सनु घादि ऋषियों की भाँति पर्णाध्म धर्म के प्रतिष्ठापंफ तथा
जोकमसर्यादा के नियामक हैं, वद राननीतिश हैं--संघेप 'में, 'वषट हमारे
गुरु भी हैं, सखा 'भी ' दैं शर हैं, सब से'बद़फर, संसार के दुःखलाकति
'के'सीच शान्ति का चरदान 'देने वाले तथा इंश्वर का साझार्कार कराने
चाढछे सिद्ध पुरुप । तुकसीदास नी कहीं गए नहीं हैं, वंद भय भी इमारे
साथ हैं, उनका 'रांमर्चरितमानस मूर्तिमान सुलसीदास है, 'संसांर 'के
'कोगों को जीवन और 'ानन्द का संपदा सन्देश 'देते रहने 'के लिए दोनों
अमर हैं ।
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