सिन्हावलोकन | Sinhavalokan

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Sinhavalokan  by यशपाल - Yashpal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जोखिम की श्र प्रवृत्ति | १९ मंत्तेप मे सश क्रान्ति के आन्दोलन का कारणा यही बताया जाता है कि राष्ट्रीय अपमान श्र भूख से सिसकती देश की जनता की सिगश, कातर '्ाँखें झीर उनका करण-क्रंदन ही देश के उपर स्वभाव सवयुवक्षौ को झावेश सें उन्मत्त बना कर प्राणो की बाजी लगा देने के लिये विवश कर देता था । यह संक्तिप्त उत्तर पर्याप्त नहीं । स्वसब्य के गांधीवादी आन्दोलन में भाग लेते वाले नवयुबक भो तो राष्ट्रीय परतंत्रता के दुख और श्पसान का प्रतिकार करने के लिये ही अपने विश्वास के अल्लुसार छागे बहे थे। प्रश्न तो यह है कि क्रान्तिकारियों का सम्तोप इस मागं से क्यों सहीं हो सका सशश क्रान्ति की चेष्टा सें सम्मिलित दो कर प्राणो की वारी क्तगा देने वाले गिनेन्युने युवकों के इलावा इस देश में छर लाखों ही युवक ' थे जो यह सब कुछ देख रहे थे । यह भी संग है कि देश के लाखों. युवकों में से काफी बड़ी संख्या ऐसे ज्लोगों की निकल श्राती जो उस दो लन के सम्पक में छा जाने पर उसमें योग देने के लिए तैयार हो जाते परन्तु वे अधिकांश युवक स्वयं किसी ेसे आन्दोलन को बना नहीं पाये 'छौर इन रिने-चुंमे युवकों ने ही स्वयं सशस्त्र क्राम्ति के छांदोलन का संगठन कर लिया था । निश्चय ही इने लोगों में राष्टीयता की साबना रौर राष्ट्रीय अपमान की अनुभूति दूसरों की ही तरह होने पर इनकी परिस्थितियों में कुछ भेद रहा होगा जिसके कारण स्वराज्य क गांधीवादी ब्यान्दोलन का ढंग उन्हें विश्वास योग्य नहीं जान पड़ा । परन्तु यह ` कैसे और क्यों कर हुआ † इसी अश्न का उत्तर मै अपनी जानकारी कं धार पर देमा चाहता हूँ । कहा जाता है कि लाहौर के दोनों क्रान्तिकारी घड़यंत्रों, वाइसराय की टन के नीचे बमकांड और देहली-पड़यंत्र तथा इनसे सम्बन्धित कानपुर और देहरादून पड़येंत्रों का झारम्भ लाहौर में पुलिस के असिस्टेंट सुपरि- ठैडेन्ट मि० जे पी० संडसं की हव्या से हश्च । मि० सेंडसेकी हस्या ` का कारणा बताया जाता है, लाहौर में साइमन क्रमीशन के श्नि के यवः सर पर जनता द्वारा विरोध मद्शन के समय संडस का पंजाब केसरी लाला लाजपतराय पर छाधात करके इस राष्ट्र का झपमान करना |... पंजान केंसरी लाला लाजपतराय पर्‌ श्राघात करके अंग्रेजी सरकार की नौकरशाही ने खर्व का जो राष्ट्रीय अपमान किया उसका प्रति-




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