म्रच्छ्क्तिकम की संक्षिप्त कथा | mrachchhktikam Ki Sankshipt Katha
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.68 MB
कुल पष्ठ :
300
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
अजय कुमार - Ajay Kumar
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शंकरदयाल द्विवेदी - Shankardyal Dwivedi
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वसंतसेना की हत्या की है। चारुदत्त पर अभियोग प्रमाणित हो जाता है और उसे निर्वासन की सजा सुनाई जाती है। राजा पालक उसके निर्वासन की सजा को प्राणदण्ड में बदल देता है। दसवें अंक का नाम संहार है। दो चाण्डाल चारुदत्त को मारने के लिए श्मसान की ओर ले जाते हैं। वे जैसे ही उसे शूली पर चढ़ाने वाले होते है वैसे ही भिक्षु और वसंतसेना वहाँ पहुँच जाते हैं। यह देखकर सभी आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इसी समय यह समाचार मिलता है कि शर्विलक राजा पालक को मारकर आर्यक को राजा बना देता है। चारुदत्त को मुक्ति और शकार को मिथ्या-अभियोग लगाने के कारण प्राणदण्ड दिया जाता है किन्तु चारुदत्त उसे क्षमा कर देता है। इधर चन्दनक यह समाचार देता है कि धूता सती होने वाली है। चारुदत्त उसे बचाता है। बौद्ध भिक्षु समस्त विहारों का कुलपति बना दिया जाता है। राजा आर्यक चारुदत्त को एक राज्य का अनुदान देता है। वसंतसेना गणिका-वृत्ति से मुक्त कर दी जाती है और उसे धर्मपत्नी होने का अधिकार मिल जाता है। चारुदत्त का वसंतंसेना के साथ विवाह हो जाता है। इस प्रकार यह प्रकरण समाप्त हो जाता है। 3. का रचना-काल किसी भी साहित्य से तत्कालीन समाज की झलक मिलती है। मृच्छकटिकम् में भी उस समय के समाज की स्थिति की झलक मिलती है। अतः यह जानना आवश्यक हो जाता है कि मृच्छकटिकमू किस काल की रचना है। इसके रचना-काल के सम्बन्ध में विद्वानों के मध्य मतैक्य नहीं है। इसलिए अभी तक यह पूर्णतः निश्चित नहीं हो सका है कि यह प्रकरण किस समय रचा गया। इसके रचनाकाल से सम्बन्धित किसी भी जानकारी का उल्लेख न तो इस ग्रन्थ में है और न ही किसी अन्य स्रोत में। इसके
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