सरल जैन- रामायण द्वितीय काण्ड | Saral Jain Ramnarayan(vol-ii)
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
274
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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दशरथ को वैराग्य उत्पन्न होना, केकई द्वारा वरदान का
यांचन | फल
श्री रामचन्द्र; लच्मण ओर सीता का विदेशगमन, दशरथ
का दीक्ताग्रहण, भरत का राजपद भोग ।
श्री रामचन्द्र, लक्ष्मणकृत, वज्रकर्णोप कार ।
म्लेच्छाधिपति से, रामचन्द्र, लक्ष्मण द्वारा, चालखिल्य
का बंचनमुक्त द्ोना ।
कपिल ब्राह्मण का श्रतिशययुक्त चरित्र ।
लददमण द्वारा, वनमाला का फांसी से मुक्त दोना)
महाराजा च्रतिवीयं को वैराग्य प्राप्न होना।
प्मत्तिवायं ऋषिराज के दशेनाथ, भरत महाराज
का गमन ।
शत्रुदमन चूप द्वारा चलाई गई, लद्मण पे पंच शच्ियों
का विफल होने पर, जितपद्मा से संबंध होना ।
श्री रामचंद्र, लक्ष्मण द्वारा, देशमभूषण स्वामी का
उपसग निवारण ।
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रामनिगास से पवत रामगिरिः कलाया ।
श्री रामचन्द्र, लक्ष्मण श्रौर सीता ने मिलकर दरडकवन
में युगल चारणयुनी को श्राहदार दान दिया, तादी समय
जटायु पत्ती का सम्मिलन श्री रामचन्द्र, लदमण श्यी
अनकदुलारी का दरडकवन वास |
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