प्रभात फेरी | Prabhatferi
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मावी सन्तति
म भविष्य के तिमिर-गमं में
वल-सथ्चय-दितं वालारुण-से
कुछ दिन श्रमी करेगे शयने !!
ज्याला का क्या वशु, वरं है
बस सुवणं दी, साम्य-गान रहै,
तप्त-स्वणं की वनी देह यद,
क्म, पूणं तप - श्नुष्ठन है !
वणंदीन समान पतित को
उठा, शक्ति दंगे प्रलयङ्कर,
छनयन्रित शासन से पोप्रित
वैभव को हर भस्मभूत कर ।
मेघाच्छादित विश्व व्योम से
विद्यत्-घारा मे, श्पनी पर,
इस दरने श्रातक, वञ्च वन
उमड़ पड़ेंगे घन-गजंन कर ।
पवेत के प्रतिथ्वनित नाद-से
जय जय कर जय-घोष भयकर,
फूट पडंगो तडक तडिति-से
कम्पित कर प्रवनी शरो शम्बर ।
वह् प्रकाश दोगा भविष्य फा
श्रसी देश में कुछ दिन रेन!
हम भविष्य के तिमिरगभं म
पुल सखय हित चालारुण-सें
यछ दिन श्भी करगे शयन 1
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