सव्होधमार्तंड | Savhodhamartnd
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
450
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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नरकमें जन्म ठेता, कभी हीनकुठ वाठे सनुष्योंमें- -जत्म
लेता, कभी भक्नवासी आदि देषप्याय धारण करता हैं ।
अत्यन्त शुभ कर्मका उदय आबे तो मनुष्य पयाये
उच्चज्ुलम जन्म पाता है, इसे तरहसे एकेन्द्रियसे पंचोन्द्रिय
तककी पर्यायका पाना वडा दुरखंभ है ।
प्रन -- इन्द्रियां क्रितनी ओर कौन २ सी हाती
0.
उत्तर - इन्द्रिया पाच होती ह, उने नाम- स्परीन,
रसना, घ्राण, चक्षु ओर कणं दै ।
प्रदन- इन जीवक प्राण, सेज्ञा, पयोभि ओर उपयोग्
कितने २ ओर कौनसे हेति दै ?-
उत्तर- इन जीवोके एकेन्द्रियसे पंचेन्द्रिय तक नचि
रिख अनुसार १० प्राण तक दते ३ । एकेन्धियके पयाति
दका चार प्राण होते हैं-स्पशनेिन्द्रिय, कायबल, श्वासो-
च्छवास और आयु ।
डिरेंदियके--पहठे कहे हुए चार प्राणों रसना
इन्ट्रिय और वचन बल और चढ जानेसे छह प्राण रेते र
ये भी पयौप्त दशमे ते ई
^ त्रीन्द्रियके-घाणेल्द्रियके बढ जानेसे सात प्राण
[दि
2४
चतुरिन्द्रियके -चक्षु इन्द्रियके चढ जानेसे आठम्राणदोते हैं।
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