हिन्दी काव्य शास्त्र का विकासात्मक अध्ययन | Hindi Kavya Shastr Ka Vikasatmak Adhyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(७ )
भाषा भूपशा-गयय म व्याख्या 1 मत्तिसम, यसकारद प्रभाव { भूपणए-पावर यवि
सर्कल भाविके ] देव-युग, मौर विनेता 1 काव्य दाल निष्पण-प्यमय । सस्व
साचा छो उद्धरणी 1 कुलपति. सिध-टीदाएं-विहदारी सतसई, कवि प्रिया भौर
रसिक प्रिया की टोक्ाएु । रीति प्र थ प्रणयन-श्रीपति वीर, कण्ण क्वि ( बिहासै
सतस् टीका }, रसिक सुवति 1 मिखरीदास-स्ववीया लक्षण हाव-माव लक्षण-
सादित्य दपग्ग की छाया-अ त्यातुप्रा्त-मौलिक निवेचन । दलगविराप मोर बशौधर-
वेत्र रटनाकर 1 दूनहनाया ६ यनोदा न दन~सस्कन दिःदौ मिधधरण~वव नायि
भे, रसिक सोवि । भयकषि भौर याचाय । निष्क्प-~नायक-~नापिका भेद,
लकार वणन, रस विवेचन गुण दोप विवेचन, प्रकति चित्रण, सद्धातिक
घ्याप्या । मौलिक उदुमावना्े व परम्पर! निर्वाह । निष्वप |
द्वितीय प्रकरण -~भारते दु काल पृष्ठ ८६ से १२२
८) माण-सनपप पसव --
गग्नेगी का आगमन, शासन और भाषा सम्ब घी नीति, स्वतत्रता
सप्राम-मग्रेजों की नीति, ईसाई धम प्रचारक गौर हिंदी | तत्कालीन आालोचनान-
सशक्त के परिपाश्व मे-टीका साहित्य, शास्त्रीय ततरे 1 माधार् । भग्रेजो के पररि
पाव म~मोलिक्ता भौर नवीनता का ग्रह, नालोचरो कौ प्रतिस्पणो, सिद्धान्त
प्रतिपादन, पास्वीय तत्व प्रजो सिढात । पत्र पतरिकारये, प्रयोगास्मक आलोच
नाये) 1 मे मरे जो का सहयोग ) अनुस्थान भौर नागरी प्रचारिणी संभा 1 माष
दण्ड-अ तर 1 केविगो कौ जोवनिया-रैतिहासिक रकेण -लाड ज मोफ पौडटज ।
आलोचना जोर थ प्रेजी । बप्रेजो के विराभ चिद्। निवघ नौर् लालोचना ।
निष्क्प ।
(ख) माप-आलोचक कृतियाँ --
भारते दु बावू हरि द्व-सस्वत के पारिपाएद में, आप्रेजी के परियाश्व
में, जीवनियाँ, “नाटक ” निष्वप-सोलिक्ता । बद्रीनारायण चौषरो-दौष दशन,
सयोगिता स्वयवर, सस्कृत बे ग्रे जी परिपाइव-निष्कर्ष 1 पढ़ित माल कृष्ण मटू-बग
विजेता, अनुवाद, आलोचना, आालोचनात्मव' लेख, शास्त्रीय तत्व, निप्कप ।
पढ़ित गंगापरसाद अग्निहोबी-समालोचना, निष्यप, शास्त्रीय तत्व» मौलिकता अय
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