अशोक | Ashok
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दण दस्य १३
विदेशी सेनिक--भशोक तक्षशिला पहुंच गया है।
नेता--सचमुच
चि० संनिक--जी हां ।
एक श्रावाज्ञ--चसो उस पर हमला करें 1
दूरी षाव --श्रशोक के रिदिर को श्राग लगा दो !
तीसरी झावाश--पशोक का नाश हों !
सब लोग--अशोक का साश हो !
चौथो धावात्--चलो, प्रभी चलो !
पांचवीं भावार--भशोककीसेनाकाडेराक्िसिश्रोरटै?
छठी प्रावा --उत्तर दिशामे।
सातवां घावाज़--नहीं, दक्षिण में 1
झाठवीं झावाश--नहीं, पश्चिम में ।
भौं श्रावाश--चलो, किसी भोर तो चलो ।
स लोग --चलो, चलो {
[वही विदेशी सैनिक कूदकर एक ऊचे स्थान पर चद
*. जाता है भौर चिल्लाकर कहता है--]
विण पेनिक--ठहरो ।
[ब लोगं ्चौकव र उसकी श्रोर देखने लगते रै । ]
वि० सनक -सक्षशिला के नागरिकों, दुममे से दिसी ने प्रशोक वों
देखा है ?
[एक क्षण चक लोग विस्मय से उस हो शोर देखते रहते हैं उसके वाइ-- |
एक झावाजश--यहे वौन है ?
सरो एप्वाड--जःपूष है !
लीपरी घ्रादाज्--नहीं, यात्री है ।
चोद श्रावः नदी, सनिकदै।
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