जिनके साथ जिया | Jinke Sath Jiya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Jinke Sath Jiya by अमृतलाल नगर - Amritlal Nagar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अमृतलाल नागर - Amritlal Nagar

Add Infomation AboutAmritlal Nagar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्रद्‌ के साथ बिताया कुछ समय २१ आकाश मे तारे छिटक रहै थे । उस्र दिन शायद पुणिमा भी धी 1 हाथ का इशारा कर वह मुभे वतला रहे ये, “जव बाढ श्राती है, पानी मेरे बगले की सतह को छूता है, तब मुझे बहुत श्रच्छा मालूम होता है ।” कौन जानता था, उस दिन, अन्तिम वार ही, “रूपनारायण' के तट पर खड़ा हुआ मैं उस महानु कलाकार के व्यक्तित्व का दर्शन कर रहा था । [१६३१




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now