विद्यार्थियों से | Vidyarthiyo Se

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विद्यार्थियों के लिए [ १३ मुझे मौज व टीमटाम से रहने का मोद नहीं ऐै। मैं भर मेरे श्राधित जन अच्छा निरोगी जीवन बिता से श्रीर वक्त ज़रूरत का काम श्रच्छी तरद चलता जाय तो इतने से सुक्ते सर्तोप है। दोनों समय स्वास्थ्पकर धाहार '्रीर ठीक ठीक कपड़े मिज्ञते जाय बस इतना दी मेरे सामने सवाल दै | के बारे में मैं ईमानदारी के साथ रदना चाइता हूँ ! भारी सद लेकर या शरीर बेच कर सुभे रोजी नददीं कमानी है । देश सेवा करने रद की भी मुखे इच्छा है. थ्रपने उस लेख में थापने जो शर्तें रखी हैं, उन्हें पूरा करने के लिए मैं तैयार हूँ । पर, सुके यदद नहीं सभा रहा दै कि मैं क्या कहूँ ? को कैसे की जाय ? शिच्षा सुके केयले विद्यार्थी मिली है । कभी-कभी मैं सूत कातने की सोद रद्द हूँ पर कातना सौ बसे घर उस सूत का कया! दोगा, इसका भी मु्दे पता नहीं । जिन परिस्थितियों में मैं पड़ा हुमा हूँ, उनमें पाप मुखे क्या सम्तान-नियमन के इत्रिम साधन काम में लाने की सलाइ देंगे है सयम | '्ौर में मेरा विश्वास है. पर घडचारी बनने में मु श्रभी कुछ समय लगेगा। सुर्म भय है कि पूर्ण सयम की सिद्धि मास होने के पूर्व मैं साधनों का उपयोग नदी करूंगा, तो मेरी खी के कई चच्चे पैदा हो जाएँगे गौर इस सर यैडे रात झार्थिक बरबादी मोल ले. लूँगा, आर फिर सुम्धे ऐसा जगता है कि अपनी यो से, उसके भावना विकास मैं, कड़े संयम का पार्लन कराना दी उचित नहीं । धाखिरकार लायारण खो पुर के जीयन में बियर मोग के लिए शो स्पान है दी । में उसमे 'पवाद सर्प सदी हूँ। चर मेरी सो को, आपके 'विपय सेवन के खतरे” झादि विपयों के मदखपूर्यं




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