आधुनिक जगतमें गांधीजी की कार्य-पद्धतियां | Adhunik Jagatmein Gandhiji Ki Karya-Paddhtiyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्ती है भोर फिर भी चमसे प्रम करना भौर उसकी सेवा करना दन्द नहीं करती, यह इस हथियारका अत्यत शुद्ध रुपमे उपयोग करती है और अन्तमें अपने पतिसे मदिरा-पान एडवा देती है। इसी तरह एक भा नागरिक सरकारकों अन्याय मरनेसे बचानेकी दृष्टि रख कर उसे सहयोग देनेसे इनकार कर देगा । अवश्य ही इस असहयोगमें उसका हेतु म्य मौर न्याय पर दृढ़ रह कर सरपारसे सहयोग करना ही होगा । इसलिए सरदारके जिन कर्मचारियोंके साथ वह असहयोग कर रहा है, “उनके प्रति उरक मनम कोई देप या दुर्माव नहीं होगा। “ उसका अमहपोग सम्मानपूर्ण सहयोगकी पूर्वभूमिका ही है।”” मसहपोगकी अगर सफल होना दै तो उसका अर्थ यह होना चाहिये कि समाजके सभी वर्गोमं सहयोग हो । इसके लिए गरीव-अमीरके, ऊच- सीचके बीच खाई पंदा करनेवाली प्रत्यक्ष बाधिक असमानताएं और सामाजिक अन्याय मिटार्नकी जरूरत होगी; अपने धर्मके अलावा दूरे घर्मोकिं लिए समान भादरकी और समाजके दूसरे लोगोकी मार्यत्ताओ भौर रीति-नीतियोंकि प्रति व्यापक सद्िप्युताकी आवश्यकता होगी । लाखों मनुष्योको वधुत्वकी स्पूललामें जोइने और उनके जीवनमें अहिसक आचरणको गंय देनेके लिए गाधीत्रीने अपना मठारहु-मू्री रचनात्मक कार्यक्रम तयार क्रिया था और उसे कार्यान्वित करनेंके लिए रचनात्मक षा्यकी करद्‌ सस्याए स्थापित की थीं। इसे वे रघनात्मक अहिमा कहने थे । अद्धिमिक अनुशासन सिखानेके लिए पाश्चात्य परिस्थितिके अनुसार इसी तरदके काम रिचडं ग्रेगने अपनी पुस्तक ' ए डिसिप्लिन फॉर नॉत- ध्दायोलेन्स * ( अद्सिकी तालीम ) में इदाइरण दे देकर थताये हे। जिन्हें दिलचस्पी हो वे उस पुस्तककों पढ़ लें । एक अद्मिक सेनाके लिए 'रघनात्मक बयय वैसा ही है जैसा खूनी लडाईके लिए रस्वी गई फौजके लिए कवायद और परेड । गाधीजीनें देखा कि ऐसी तैयारी छोटे पमामे पर व्यक्तियों द्वारा कार्यात्वित की जानेवाली अ्िसक प्रनिरोधकी या सद्विनय अवन्नाकी योननाके लिए लाजिमी नहीं है, विशेष था स्थानीय शिकायत दूर करानेंके लिए भी लाजिमी ,नहीं है; १३




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