अच्छी आदतें | Achchhi Adaten

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Achchhi Adaten by बाबू केशवकुमार ठाकुर - Babu Keshavkumar Thakur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १७ ) यह्‌ उध्यन्न होरे वाली आदत साववयानो के साय बदलो भो नाः सकती है । ३--किसी रवर श्रथथां रभ्सी को लेकर श्रौर उरो मोडकर कुछ दिमों के लिए रख दिया जाय । उसके बाद खोले ज्ञाने पर उस रस्सी झौर रबर का साधापन सप्ट हो ज्ायगा शोर जिस प्रकार उनको मोइक रे रखा गया था, उसी प्रफार सुड़ी हुई उनकी श्याकृति बम ज्ञायगी । यह श्रारदत है, जिसका निर्माण होता है शरीर फिर उस परिस्थिति को बदलने से उसका सुधार श्रौर परिचतन भी दोता दै । ४--इन 'ादनों को श्रौर भी श्रधिक गम्मोरता के साथ देखा जा सफवा है । किसी पदाधं को तीम्‌ क देह के नीचे उसकी जड़ के समीप सोद्फर गा दिया जाय श्रीर्‌ दुधु दिनाक याद उसे निकाला जाय तो उस पदार्थ में नीम को शीतसनता अर उसका कड्‌ घापन उत्पन्न हो साया । यद्‌ एक श्ादत है जो सगति के प्रभाव से उत्पन्न होनी है । इस उत्पन्न हुई 'झादत में सुधार और परिवर्तन भी क्रिया जा सकता है । ५--परवल कड्या नदीं होता। लिन कड्वी फकड़ी के येत में उत्पन्न दीने बाला परवल ककड की फड्‌वाहट फो लेबर जन्म लेता है । परदल का यदद प्रभाव ऊपर की पटना के समान है । स्वभाव श्रौरयारतमेस्या न्नर है, इसको सममने के लिंए ऊपर जो उदाहरण दिये गये ह, ये स्पष्ट प्रकाशा डालें हैं । इन ष्मादतो क सम्दन्यमे यदिहम गम्मीरता के साथ परिवार करें हो उनकी सभो वाते भाक्तानी कै साय धमारी समण्मेः सा सती हैं ।




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