स्वास्थ्य के प्राकृतिक साधन | Svasthya Ke Prakrtik Sadhan

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Svasthya Ke Prakrtik Sadhan by बाबू केशवकुमार ठाकुर - Babu Keshavkumar Thakur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्वास्थ्य नष्ट होने के कारण ५ 1क००क०ककडअकक७ककक20वक0अ0क2ब082020#कक0कक0कककफकक्कलकककाकककमगकसकककेमेंककररकककमेकककककमकककमहकककककलरकककिकलिकिफरडकनफशिनरिनरिकिकनिकनकन परिश्रम और न्यायाम स्तरास्थ्य के लिए शारीरिक परिश्रम अत्यंत आावश्यक है । जो परिश्रम करने के अभ्यासी नहीं हैं अथवा यों कद्दा जाय कि जो परिश्रम नहीं करते; चाहें वे वालक चाहे युवक और चाहे वे वृद्ध हों, उनका स्वस्थ और नीरोग रददना असस्भव है। यद्दी कारण है कि जो सस्पत्तिशाली परिश्रम नहीं करते; वे सदा के लिए अपने स्वास्थ्य के खो देते हैं । विना परिश्रम के स्वास्थ्य की रक्ता नहीं हो सकती । अनभिन्ञता के कारण प्राय: अधिकांश स्त्री-पुरुप परिश्रम करना अपने लिए अपमान सममते हैं । यह उनकी वहुत बड़ी सू्खता है। इसका परिणाम यरह्द होता है कि वे थोड़े समय के पइचात, स्वास्थ्य के लिए रोते हैं और पढताते हैं । स्वास्थ्य के नष्ट होने का तीसरा कारण परिश्रम न करना हैं । परिश्रम न करने के कारण ही अमोर घरों के लड़के और लड़कियाँ; री और पुरुप स्वास्थ्य-दीन और रोगी दोते हैं । परिश्रम करने के कारण ही- गरीब लड़के-लड़कियाँ; ख्री-पुरुप स्वस्थ; शक्तिशाली और नीरोग होते हैं । अमीर घरों में पालन- पोपण पाने वाली और सुख तथा आमोद-प्रमोद में रहने वाली युवतियाँ अपने युवाकाल में दी घुढ़ापे के प्राप्त हो जाती हैं; किन्तु जो गरीव, मजदूरी करने वाली युवतियाँ दिनभर परिश्रम करती ५ बस हैं निघत और गरीब दोनेपर भी, उनके शरीर में स्वास्थ्य और ६)




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