प्रथ्वीराजरासो भाग 9 | Prathavirajraso Bhag 9

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Prathavirajraso Bhag 9 by मोहनलाल विष्णुलाल पंडया - Mohanlal Vishnulal Pandeya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विपय-सुची । समय १ श्रादि पव॑ लिख्यते | पृष्ठ १-१९७३ आदिदेव गुरु वाणी लक्ष्मीश सुरनाथ और सर्वेश का मंगलाचरण १ के छंद लभग १ धर्म स्तुति ९ कमें स्तुति ११ मुक्ति स्तुति १२ अपनी स्त्री की शंका का समाधान करता १५ चंद की स्त्री श्च दांका करती है १७ नंद अपनी स्त्री की शक्ता का पुनदच समाधान वा है १६ चंद अपनी स्त्री के आगे ईश्वर के ऐध्व्ये का वर्णन करता ११ की स्त्री अपने पति से. अष्टादश पुराणों की मनुक्रमणिका पूछती है १८ अष्टादश पुराणों की अनुक्रमणिका का कथन करता है १८ चंद अपनी ग॒ वर्णन करता है १९. चद उत्तापित होकर अपने को पूर्व कवियों का दास 1 उनकी उक्ति को कहना और अपनी को बकना कहता है २० चद खलों स्वभाव वर्णन करके सुजनों के निमित अपना काव्यरचन करना चाहता है २१ वबती की स्तुति र१ गणेश की स्तुति २१ गणपति की उत्पत्ति कथा २१ र की ह्तनि २३ कवि की का रवहूप वर्णन र४ सयें का काव्य के है २४ कोई अशुद्ध पढ़ने वाला चंद को काव्य-सबंधी दोष न दे २४ प्रथ मे चद से वया क्या कथन किण है २४ रामो को रसिया सरस रे २४ रासो का तत्त्वज्ञान केसे होगा २५ जो को युगुरु से पढ़ता बुर्मा। नहीं दरसाता २६ रासो क्सिवों अच्छा और किसको बुरा प्रतीत है २६ इस ग्रंथ के काव्य को सख्या का कथन २६ रासों के हुए अर्थ पय में कवि का कथन २६ इस प्रंथ के व्रिषय का संक्षेप कथन २६ राजा क्षेत्र बी तक्षक दर्शन और जन्मेजय की स्पेसत्र कथा २७ बतेंमानआब के 7 को कथा 3३३ गःलव ऋषि के दिप्य उत्तग को उपाक्पान 3४ वदिष्ठ ऋषि पद पर तप करना और उनकी मंदनी गो का अथाव बिल में गिरना ३५ ठ ने अपनी गाय निकालने को गंगा का आह्ान किया ३६ सदाकिनी गंगा का ना मोर गो का निकलना ३७ बदिष्ठ ऋषि का उस बिल बुरने को नय के पास एक पुत्र मांगने जाना ३७ हिमालय का सपने सब पुत्रों से ऋषि भिप्राय कहना ३८ हिमालय के बड़े पुत्र का उत्तर देना ३८ वशिष्ठ का




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