निबन्ध निकुंज | Nibandh Nikunj
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
374
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)र 1
प्रायः विषय ॐ हामि-लाभों का विवेचन रहता दै और तकें-
सम्बन्धी निबन्धो मे तकं-वितकं द्वारा अपने मत का प्रतिपादन
किया जाता है । वस्तुतः विचारात्मक निवन्ध लिखना वणेनात्मक
था चिवरणात्मक लेख लिखने की अपेक्षा कहीं कठिन है । इसके
लिए विद्यार्थी को बहुत सोचने की आवश्यकता है। तके-सस्वन्धी
निबन्ध मे विभिन्न मतो को मन मे तोलना पड़ता है चौर फिर
बुद्धि-संगत बातो हा श्रपनी मति का प्रतिपादन करना पड़ता
है । विचारास्मक निबन्धो के लिए विद्यार्थी का अध्ययन विस्तृत
दोना चाहिए और उसमे तीन्र बुद्धि भी वांछनीय है ।
अन्त में यही कहना है कि निवन्ध-लेखन एक कला हैं ।
इसमें छुशल बनने के लिए अध्ययन और श्रभ्यास की
च्रावश्यकता है । विद्यार्थी को चाहिरे कि वह् निबन्ध की पुस्तक
का चबलोकस करे, मासिक पत्र-पत्रिकाश्मो को पदे श्नौर कम
से कमदो सप्राह पश्वात् तो एक निबन्ध लिखकर उसे किसी
योग्य व्यक्ति को दिखा दी दिया करे । आजकल देखा जाता है कि
वियार्थी-गण निबन्ध लिखने से बहुत जी चुराते है । इसका यह
दुष्परिणाम होता है कि वे परीक्षा-भवन मे बैठकर बहुत बुरा
निबन्ध लिखते है घर बहुत कम अंक पाते है । यहाँ तक़ कि
बहुत से विद्यार्थी अच्छा निबन्ध न लिख सकने के कारण
ही परीक्षा मे अुत्तीणे हीते है ओर इस प्रकार अपने वपै भर
के परिश्रम पर पानी फेरते है ।
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