निबन्ध निकुंज | Nibandh Nikunj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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र 1 प्रायः विषय ॐ हामि-लाभों का विवेचन रहता दै और तकें- सम्बन्धी निबन्धो मे तकं-वितकं द्वारा अपने मत का प्रतिपादन किया जाता है । वस्तुतः विचारात्मक निवन्ध लिखना वणेनात्मक था चिवरणात्मक लेख लिखने की अपेक्षा कहीं कठिन है । इसके लिए विद्यार्थी को बहुत सोचने की आवश्यकता है। तके-सस्वन्धी निबन्ध मे विभिन्न मतो को मन मे तोलना पड़ता है चौर फिर बुद्धि-संगत बातो हा श्रपनी मति का प्रतिपादन करना पड़ता है । विचारास्मक निबन्धो के लिए विद्यार्थी का अध्ययन विस्तृत दोना चाहिए और उसमे तीन्र बुद्धि भी वांछनीय है । अन्त में यही कहना है कि निवन्ध-लेखन एक कला हैं । इसमें छुशल बनने के लिए अध्ययन और श्रभ्यास की च्रावश्यकता है । विद्यार्थी को चाहिरे कि वह्‌ निबन्ध की पुस्तक का चबलोकस करे, मासिक पत्र-पत्रिकाश्मो को पदे श्नौर कम से कमदो सप्राह पश्वात्‌ तो एक निबन्ध लिखकर उसे किसी योग्य व्यक्ति को दिखा दी दिया करे । आजकल देखा जाता है कि वियार्थी-गण निबन्ध लिखने से बहुत जी चुराते है । इसका यह दुष्परिणाम होता है कि वे परीक्षा-भवन मे बैठकर बहुत बुरा निबन्ध लिखते है घर बहुत कम अंक पाते है । यहाँ तक़ कि बहुत से विद्यार्थी अच्छा निबन्ध न लिख सकने के कारण ही परीक्षा मे अुत्तीणे हीते है ओर इस प्रकार अपने वपै भर के परिश्रम पर पानी फेरते है ।




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