स्वर्ण - विहान | Swarn Vihan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
461
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहली झलक
रुूुणफा-
फिर भी अवतक सुख से जीता
यह् स्वार्थी समुदाय ।
इससे छुटकारा पाने हम
करते क्यो न उपाय ?
ये अति ऊँचे भवन मनोहर
यह वैभव-सामान 1
क्यो न जला देते है इनकों
सव सिल दुखी किसान ?
( फिर वेदना से कराहने लगती है )
न =
( मोहन ओर विजय का प्रवेश )
मोहन
किस पीड़ित मानस की करुणा
छोड रही हे आद् !
किसकी सुनता हू ,इस घर में
पीड़ा-भरी कराह ?
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