मुग़ल साम्राज्य का क्षय और उनके कारण तृतीय चतुर्थ भाग | Mughal Samrajya Ka Shreya Aur Unke Karan Tratiya Chaturth Bhag
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
209
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४. मुगल सान्नाज्यका क्षय और उसके क।रण
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२-दो राञ्योक्ा अन्त
आन दक्षिणम इस सकस्पसे गया था कि वह पैरमे चुभनेवाले कंटिको
एकं ही बार जसे उखाड़ देगा । मराठोकी बढती हुई दराक्तिसे बह
क्षल उठा था । दक्षिणमे उस समय तीन बडी शक्तियो थी । मराठा रियासतके
अतिरिक्त बीजापुर और गोलकुष्डाकी रियासत भी स्वाधीन थी । कई पीयोसे
मुगल बादशाह इन दोनी मुसलमानी रियासतोका अन्त करनेका यत्न कर रहे थे;
परन्तु सफलता नद्दी प्राप्त कर सके । मराठा राज्यकी वृद्धि इन रियासतोके सिरपर
ही हो रही थी । बीजापुर और गोलकुण्डाको शिवाजीने खूब चूसा और खूब
खाया । वह रियासते मराटा-शक्तिकी खुराक थीं । ओरगजेबने मराटा-शक्तिको
नष्ट करनेके लिए, पहले उसकी खुराकको नष्ट करना ही आवश्यक समझा । उसने
बीजापुर और गोलकुण्डाको हमेदाके लिए, साम्राउयमे मिला लेनिका दृढ़ निश्चय
करके पहले बीजापुरपर धावेका हुक्म दे दिया ।
बीजापुरकी ओरसे इस आफतको टालनेके अनेक यत्न किये गये । मुगल
शादजादा आजम्से बीजापुरी राजकुमारी शहरबानकी शादी हद थी । शदस्वानूने
अपना सारा असर बीजापुरकी रक्षाके लिए लगानेकां यत्न किया । बीजापुरका
एक दूत-मण्डल भी १३ मई १६८२ को बाददाहकी सेवामे उपस्थित हुआ
था, परन्तु उसने जो उपहार भेट किये, वह अस्वीकार किये गये । ओरगजेवको
विश्वास हो गया याक ब्रीजापुरकी आरसे मराटा-राज्यको मदद दी जाती है ।
१६८३ के अन्तमे ओरगजेवने ब्रीजापुरके आक्रमणकी बागडार सेनापतियोके
हाथसे केकर अपने हाथमे सेभाटी, ओर जोरसे काम श्रू हुआ ।
लगभग तीन वर्ष तक मुगलोकी सम्पूर्णं शक्तिका सग्राम र्बाजापुरसे जारी
रहा । मुगल सेनाओने ब्रीजापुरका घेरा डाल दिया, ओर मो्चै जमाकर सब
रास्ते रोक दिये । ब्रीजापुरके डाके बहुत देरतक लड़े, स्तूब बहादुरीसे लडे,
परन्तु जब दुदमनकी मददको भृख आगर्ई, तब उन्हे हार माननी पडी । १२
सितम्बर १६८६ के दिन आदिलशाही वराके अन्तिम बादशाहको गदी छोडनी
पढ़ी । नगरनिवासी शक्ति-भर ठ्डकर भूखसे पराजित हो चुके थे । सिकन्दर
शाह दिनके एक बजे राव दलपत बुन्देलाकी देख-रेखमे औरगजेबके दरबारमें
पहुँचाया गया । उस समय मुगल-कैम्पमें खुशीकी शहनाई बजाई ग ओरं
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