ऋग्वेदके बनानेवाले ऋषि | Rigvedke Bananewale Rishi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ३ )
किक मन्दसानः सुतं पिव ।
नाना
अधे- हे कुशिक केलइन्द्र आ और आनन्दके साथ दमारे सो-
मरसकोपी।
जेतऋषिः १ ( ११ )
दयानन्द भाष्यमें इसको सूक्त ११ का ऋषि बणेन करते
हवे “ जेता माघुच्छन्दस ” अर्थात् मधुच्छन्दाका बेटा जेता
लिखा हैं, सारे ऋग्वेदमें इस ऋषिका एक यह ही सखूक्त है ।
मेघातिथि ऋषि १ ( १२-२३ )
दयानन्दने मक्त १२ से २३ तकका ऋषि ऋग्वेद भाष्यमें
“+काण्रावो मेधातिथिः अयत् कण्वका बेटा मेधातिथि छिखा
है, यह ऋषि अपने बनाये सूक्तोंम ऋग्वेदके अन्दर अपने
आपको इस भकार प्रगट करता हे ।
म॑ं१सू १४ ऋ २-आ त्वा काण्वाः
4»... च्ल ५
आहषत यणन्ति विप्र ते धियः देवैः अभे
आगहि ।
अर्थ- कण्वको सन्तान तुमको पुकारती है विप्र तेरी स्तुति गाते
हैं हे अग्नि दुवोंकें साथ आ | त
म॑ं १ सू १४ ऋ ५-इठते त्वाम् अब-
स्यवः कण्वासः ।
अथै- कण्बके बेटे सद्दायता चाहते हुव तेरी स्तुति करत हैं ।
शुनःशपः १ (२४-३०)
स्वामीदयानन्द ऋग्वेद भाष्यमें प्रथम मंडलके सूक्त २४
का ऋषि इस प्रकार डिखते हं “आजीगर्तिः शुनःशेपः छुत्रि-
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