सत्य संगीत | Satya Sagdhit

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Satya Sagdhit  by दरबारीलाल सत्यभक्त - Darbarilal Satyabhakt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तेरा प्यार [ ५ मेने चाहा तेय प्यार छल करनेमे छल्य गया मै बनकर मूख ममार । मेन । समझा था तुझका छलता हूँ अब समझा मैं ही जलता हूँ नुञ्चको धोखा देना ही ध्रा धोख् खाना आप) जब समझा व मन मे बैठा देख रहा सब पाप ॥ मेरा चर हुआ अभिमान तेरी देग्व पडी मुमकान नर चरणो पर बरसनि ल्गा अश्र की वार | मेन चाहा तेरा प्यार ॥ २ ॥ मन चाहा तरा प्यार नेग आर्थाबाद मिला तब सूझ पडा ससार ॥ मेन । जाति पाँति का मोह छोडड कर ऊच नीच का भेद लोड कर आया तेरे पास, दिखाया तने अपना ठा सर्वधर्म सम- भाव, अहिमा करा सिग्वलाया पाठ मेन पाया स्चख-ममाज जिसम था तेरा ही साज हुआ विश्वमय, विश्ववन्धु में तरा ग्विद्मसतगार मेन चाहा तग व्यार | ०९ >> ९८ से




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