सत्य संगीत | Satya Sagdhit
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about दरबारीलाल सत्यभक्त - Darbarilal Satyabhakt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तेरा प्यार [ ५
मेने चाहा तेय प्यार
छल करनेमे छल्य गया मै बनकर मूख ममार । मेन ।
समझा था तुझका छलता हूँ
अब समझा मैं ही जलता हूँ
नुञ्चको धोखा देना ही ध्रा धोख् खाना आप)
जब समझा व मन मे बैठा देख रहा सब पाप ॥
मेरा चर हुआ अभिमान
तेरी देग्व पडी मुमकान
नर चरणो पर बरसनि ल्गा अश्र की वार |
मेन चाहा तेरा प्यार ॥ २ ॥
मन चाहा तरा प्यार
नेग आर्थाबाद मिला तब सूझ पडा ससार ॥ मेन ।
जाति पाँति का मोह छोडड कर
ऊच नीच का भेद लोड कर
आया तेरे पास, दिखाया तने अपना ठा
सर्वधर्म सम- भाव, अहिमा करा सिग्वलाया पाठ
मेन पाया स्चख-ममाज
जिसम था तेरा ही साज
हुआ विश्वमय, विश्ववन्धु में तरा ग्विद्मसतगार
मेन चाहा तग व्यार |
०९ >>
९८ से
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