उमास्वामि श्रावकाचार परीक्षा | Umaswami Shavrakachar Pariksha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : उमास्वामि श्रावकाचार परीक्षा  - Umaswami Shavrakachar Pariksha

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

Author Image Avatar

जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।

पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस

Read More About Acharya Jugal Kishor JainMukhtar'

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१४ प्रकीरक-पुस्तकमाला हदयका भी सच्चा फोट आपने प्रगट कर दिखाया है । अपकी यह परीक्षा तथा पूव-लिखित श्रन्थपरी क्षाएँ बड़ी कामकी चीजें होंगी ।”” इस प्रकार यह 'प्रन्थपरीक्षा' लेखमाला और उसके प्रभावा- दिकका संक्षिप्त इतिहास है । इस लेखसालाने जनताकों सत्यका जो विवेक कराया है, जाली सिक्कों को परश्वनेके लिय परीक्षा और जाँचकी जो दृष्टि तथा कसीटी प्रदान की है; परीक्षा-प्रधा- नता श्रौर सत्य-वादिताकों अपनानकी जो शिक्षा दी है, बड़े चार्योके नामसे न ठगाय जाकर वास्तविकताका मालूम करने की जो प्रेरणा की है; अन्धानुसरण कर श्हिनमे प्रवृत्त हानेसे रोकनेकी जो चेष्टा की है, प्राचीन ऋषि-महपिर्योकी नमल कीर्तिं कौ मलिनन हाने देकर उसकी सरक्षाका जो प्रयरन किया है; श्रीर्‌ शास्त्र-मूदता अथवा श्न्धश्रद्धाक्र वातावरणको हटाकर विचारः म्वातंत््य एवं सनिर्गीतिके ग्रहणणका जो प्रोत्तेजन दिया हे, वह सब इस लेखमालाक लेग्वों का पढ़नेसे ही सम्बन्घ रग्वता है. और उससे लखमालाका उद्देश्य भी स्पष्ट हो जाता है । अब में इतना और भी प्रकट कर देना चाहता हू. कि इस मन्धपरीक्तके कायमें मेरी प्रवर्ति केसे दू ? मेरे हृदयम गृहस्थ धमपर ग्ृहि-धर्मानुश्टासनः नामस णक सर्वाङ्गपृणे ग्रन्थ लिखनेक्रा विचार च्त्पन्न हृश्रा. जा गृहस्थ-व्रम-सम्बन्धी अप दु-डेट सव वार्तोकां उत्तर दे स्क त्र जिसकी मौजृदगीमें बदहुतस श्रावक्राचाराद्रि ग्रन्थोंस विपयक्र अनुसन्धान दि की जरूरत न रहे । उसंक लिय श्राचार-विषयक सभी प्राचीन मन्थोंको देखलनें की जश्रत पड़ी, जिससे कोई बात अन्यथा अथवा अगमक विरुद्ध न लिखी जा सके । ग्रन्थ-सृचियों में उमास्वामि-श्रावकाचार और कुन्दकुन्द-न्ावकाचार जंसे ग्रन्थों का नाम मिलनेपर सबसे पहले उन्हींका मैं गाकर देस्वनकी ओर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now