भगवान्नामसागर | Bhagwannamsagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भरगवायापसागर । पट. पीठ, पादा, विष्टर ७ क थे झाहूबेर ( हाउबर) ना ०अश्वत्थफा, घ्वांत्ननाशिनी, छीहहंत्री, मत्स्यगंधा, वि षध्नी, विसा, ह एषा, हनुपा हार € झाज्ञा ना० आयसु,आदेश, आज्ञा, निदेश शासन, शास्ति, शिष्टि 9 ाज्ञाकारी ना ० आश्राव, अज्ञाकारी बचनग्र, ही ,बचनेस्थित,वि पेय , विनयग्राही हू इच्छा ( चा ) ना० अभिलाष, अ- मिलास, आकांक्षा, इच्ड़ा, इप्सा, इहा, कांक्ता, काम;,कामना,तपे,तद्‌ ,तुषा,दोहद, | दोहल, मनोरथ,लिप्सा, वाड्‌ स्पृहा १८ इतर ( तर ) ना इत्‌, इत्र, चण, | वासयाग ५ इनरायन ना ० इनराइन,इन्द्रुवा,इन्ट्रन | वासुणी,इन्द्रायण, ऐन्द्री,गवाच्ती ,गवाद्ने, चित्रा, महाफला, मुंगादना, मृगाक्ती, मृगे वाह, वारुणी वि शला, खेतपुप्पा १५ इन्द्र ना ०अप्सरानाथ,अप्सरापति,अम- रपति,अमराधघिक, अमराधिप,अमरापति, अमरेश, आखरडल,अआखरडलपाति, आ | खणइलराजा, इन्द्र, ऐरावतिपति, को- शिक, मीरवारेश, गोत्रभिद्‌ , जम्मनेदी) | ॥ || हो ते (= गोमय मघवान्‌, मरुत्वान्‌ ; मरुत्सखा, मात- । लिप्त, मेघवाहन, रिपुपाक; लपपम, {२१ वज्धर्‌. वजी,बासव,वाप्तोष्यति, त्रिवाती बवजधेश, हृद्धश्रवावषत्रत, बुषा, वृत्रहा, शक्त,शक्ताद्ध ,श ची पाति ,शतक्रतु,शतमन्यु, शुनाशीर, सदन, सतमान, सहसहग, सहसूश,सरपति,सुरभूप, सनासीर,स श सन्नामा, सूत्रामा, स्वर्गदा स्वराट स्तर; राज, दय, हरि, हरिवाहन, हरी ८२... १--नेत्र नामोके प्रथम सहस्‌ अथक शब्द लगनित्त और अप्सरा,इन्द्राणी, दिन और देवता नामोंपर पति अथ के शब्द ¢ 9: क = = = सरे के लगान भे इन्द्रक नाम हाते हं जप्त हस्‌ नयन,;अप्सरानाथ,सुरवश्यापति,शचीपति; । अहेति, दिवस्पति, सुरपति आदि २--इन्द्रनामों पर अख और घनुप अथ के शब्द ठगाने से इन्द्रधनुषकरेनाम है नेप इन्द्रधनुष, शक्रास आदि इन्द्रजाल ना० इन्द्रनाल, माया,शावरी साम्बरी ४ इन्द्रनाल्ली ना ० इन्द्रनालिक,इदनाली, प्रतिहार, प्रातिहार, मातिहारक, प्रातिहा रिक, माधाकार, मायाविक्‌, मायावीःमा- यिन्‌. मायी {१ जिष्णु, तुपपद्‌, तुधपाड, त॒राषाह) दिवस्परतिःदिवापति, इश्चमन, दुश्च्यवन, देवपते, देवराज, नमृनिपुदन, नमचिदरि रि, पाकशासन, पाकारि, पुरन्दर) पुरत, पुलोमनापत्ि, पृरोमनापती, पौलोमअ- रे, पाचीनवरा, बास्तष्पाति, बिडाना, बि- ठौना, भूध(मदमोचन, मथवन, मघवा, [न इन्द्रधनुष नार इन्द्रायुष,पुरदराज्ञःशक्रधनु ` १-इदरनारमोपर अघ अर घनुप अथ के शब्द लगाने से इन्द्र घनुषके नाम होते हैं नसे इन्द्रचनुप,शक्रास्र आदि इन्द्रपुष्पी ना० अश्निदिसा, अनन्ता, इन्द्रपुप्पी,फदिनी विलय ;शक्त पुष्पिका हू १-इद्रनामॉपर पुष्पी शब्द रूगानेसे इ०्टूप- ५ = 1




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