अनैतिकता की धूप अणुव्रत की छतरी | Anaitikata Ki Dhoop [ Anuvrat Ki Chhatari ]
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लैतिक्ता डतिहाम्स के ठार्डने भें
प्रश्न--आपने अपन युग में नेतिक मूत्या की पुन प्रतिप्ठा के लिए विशेष प्रयास
किया है । इस प्रयास में आपने लम्बी सम्वी याप्राए वी हैं, नैतिक साहित्य तैयार
बरवायां है, जन-सम्पव बढ़ाया है तथा और भी बहुत कुछ किया है। मेरी एवं
जिशासा है कि इस सन्दभ में अतीत मे भी डुछ बाम हुआ है कया ? यदि हुआ है
तो वहू विस श्रम से हुआ है और विसने रिया है *
उत्तर- मैतिवता सामाजिक जीवन था अपरिहाय अग है । बिसी भी युग
भोर किसी भी समाज मे इसकी अपरिहायता को नकारा नहीं जा सकद 1
इसलिए समाजशास्थ, नीतिशास्त्र और धमशास्त्र--तीना घाराओं मे इसकी
ब्याश्या उपलब्ध है । हर शास्त्र की व्यारुपा की पृष्ठभूमि मे उसका जपना दष्टिक।ण
भौर परिस्थित्यिा प्रतिचिम्बित है कितु उनकी अतिमं परिणत्ति एक निदु पर
जापरहीती दै । इस दुष्टि से उक्त प्रश्न धी उत्तर श्खला बहुत लम्बी टो जाती
1 सव ास्छा म प्रतिपादित नैतिकता की भचार सहिता का समालोचनात्मत'
अध्ययन एम स्वत श्र लौर समयसाध्य विषय है 1 प्रस्तुत सदम मे हम शुछ प्रथा
भौर पग्रथ प्रणतताआ फो सामने रघवर इस चर्चा को कमश आगे बढात रहेंगे ।
भारतीय लोक विता म धम, अय, काम भौर मोक्ष ~ पन चार पुदषार्थोषी
परम तत्त्व माना गया है । गाध्यात्मिक दृष्टि अर्थ और काम को वह प्ूत्यनही
देती जो धम थौर मोक्ष वा प्राप्त है। विन्तुभर्याजा म प्रशस्त प्रकारोका
परिहार एक सीमा तक धम की परिधि में समाविप्ट हो जाता है । इसी प्रकार
अनियधथित काम मै नियत्रण कौ दिशा असत् मे सत फी जोर यतिसूचक मानी
जाती है । समाज, राज्य और धमनीति भी इन चारो पुद्पार्थों से अनुवधित है ।
इस अनुवधता म भी नीतिशास्ता मे ननिक्ता क्रा व्यवस्थित और सायोपाग
विश्लेषण उपलब्ध नहीं होता, फिर भी यय तर विकोण सामग्री वे भाधार्परर
यह जाना जा सकता है कि उस युग म नैतिक मूल्यों के निर्धारण वा मानदड बया
था गौर वे लोग-जीवन को किस प्रकार प्रभावित करत थे ।
माश्चात्य विद्वानों के साहित्य तथा उनके अनुक रण स्वरूप लिखे गये साहित्य
नैतिकता इतिडास के
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