ढाणी का आदमी | Dhani Ka Admi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Dhani Ka Admi by नीरज - Niraj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नीरज - Niraj

Add Infomation AboutNiraj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पहचान दुर से ही हाथ हिलाकर नमस्कारना और रास्ता नापना सड़कीय प्रेम का प्रदर्शन इस तरह वाकई आदमी की पहचान नही हो सक्ती । चीटों की तरह मुंह मिलाकर पहचानो उसे वह भी तुम्हारी ही तरह हाड-मांत और बहती हुई ऊर्जा का स्रोत । उसकी पीठ में आँखें टौक कर देखो कहाँ रहता है, क्या ओढता-विछाता है उसका चूल्हा क्या पकाता है उसकी भगौनी का रंग उसकी थाली की आवाज़ वाकई सड़क से आदमी की पहचान नही हो सकती । तुम घुस जावो उसके घर में सलक भावो उसके आटे का पीपा ढाणी का आदमी / 17




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now