बड़े चाचा जी | Bade Chacha Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२७ बड़े चायानी ये चमार श्रौर मुसलमान तुम्दारे देवता हूं ह दॉँ, ये चमार मुगलमान मेरे देयता हैं । इनकी एक श्वाशचर- चमक शक्ति, तुम देख सकी तो देख लोगे कि इनके सामने मोग नी सामग्री रफ्ते पर ये श्रनायास ही उसे हाथों से उदाद्ध सा बाएँगें | तुम्दारे देसताश्यों में से पक मी ऐसा सदीं कर सकता । मैं इस द्ाश्ययजनक रदस्य को देखना पसन्द शप्ता द्रु, इन- लिए श्रपने देवता को श्रपने घर दुनाया टैदेववा को पढचानसे भे तुम्हारी श्रि यदिश्रन्योनदोवीदाहनयुदर्ते। `. पुरम्दर ने श्रषने वदे नाचाके पाल गदर गुद गला पादुः काड़ कर कड़ीन्कड़ी बाते कही शरीर उन्दें सूनग। दे दो यद्‌ एक मकर फारुट कर डालेगा छगमोषन ने हरक कदा -श्ररे इ, नेष देया पिति ष्ट जाप्रत देवरा दूं, यदद तो दू उनके शर्रर पर दाथ लगाते हां न्मम बायगा, मुमे कुछ मी न अग्ना पड़ेगा । पुर्दर चादि जितनी ही डोएो हॉकता फिर, पथ्य इ ब्पने वादुजी से मी श्रथिक हरी दै। जहाँ पर डरा दल लगता है वहीं पर उम्दा चोर चलता द| मुसलमान पदो से छेड़दाड़ करने का शाइग उसे नहीं हु्ना। शनाश के पम गया शरीर उति गातिषां देने लगा( राचीश श्रना श्रामः श्रोते मके दुका त्त देना र्ण प्रतमो हा श्रपने सुंद से नहीं निशाली। उस दिन का मोब निनि ल्म दो गया |




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