व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [भाग १] | Vyakhyapragyaptisutra [Volume 1]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29 MB
कुल पष्ठ :
566
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५] [ भगवतीसूत्र
भेदन- वद्ध कमं के तीव्र रस को श्रपवत्तंनाकरण द्वारा मन्द करना श्रवा उद्वत्तंनाकरण
दवारा मन्द रस को तीत्र करना ।
दग्ध-क्मरूपी काष्ठ को ध्यानाग्नि से जलाकर श्रकर्म रूप कर देना ।
मृत-पूरव॑वद्ध भ्रायुष्यकमं के पुद्गलों का नार होना ।
निर्जीण-फल देने के परचात् कर्मो का श्रात्मा से पृथक् होना--क्षीण होना 1
एकाथे- जिनका विषय एक हो, या जिनका अर्थं एक हो 1
घोष--तीन प्रकार के हैं--उदात्त (जो उच्चस्वर से वोला जाए), श्रनुदात्त (जो नीचे स्वर से
वोला जाए) श्रौर स्वरित (जो मध्यमस्वर से वोला जाए) । यह तो स्पष्ट है कि इन नौ पदों के
घोष श्र व्यब्जन पृथक्-पुथक् हैं । |
चारों एका्थक-- चलन, उदीरणा, वेदना ओौर प्रहाण, ये चारौं क्रियाँ तुल्यकाल (एक
अ्न्तमु हृत्तस्थितिक) की श्रपेकषा से, गत्यर्थक होने से तथा एक ही कायं (केवलन्ञान प्रकटीकरण सूप)
की साधक होने से एकार्थंक हैं ।
पाँचों मिन्नाथंक--छेदन, भेदन, दहन, मरण, निर्जरण, ये पाँचों पद वस्तु विनादा की श्रपक्षा
से भिन्न-भिन्न भ्रथ॑ वाले हैं । तात्पयं यह है कि छेदन स्थितिवन्ध की अपेक्षा से, भेदन श्रनुभाग
(रस) वन्ध की श्रपेक्षा से, दहन प्रदेशवन्ध को अपेक्षा से, मरण श्रायुष्यकर्म की अपेक्षा से श्रौर
नि्जंरण समस्त कर्मों की अपेक्षा से कहा गया है । श्रतएव थे सब पद भिन्न-भिन्न प्रथं के वाचक हँ ।*
चौबीस दंडकगत स्थिति ्रादि का विचार--
(नैरयिक चर्चा)
९. (१.१) नेरइयाणं भ॑ते ¡ केवइकालं ठिई पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साइ , उवकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता ।
६ [१. १ प्र.] भगवन् ! नैरयिकों की स्थिति (श्रायुष्य) कितने काल की कही है ?
[१८ १. उ.] हे गौतम ! जघन्य (कम से कम) दस हजार वर्ष की, श्रौर उत्कृष्ट (ग्रधिक से
प्रधिक) तेतीस सागरोपम की कही है । है दी
(१.२) नेरइया णं भते | केवइकालस्स श्राणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ?
जहा ऊसासपदे । |
है ५ दवा य मे
र्वास छोड़ते हैं--कितने काल में उच्छवास तेते हँ प नि सार छोड़ते ह 1.
[१. २. उ.] (प्रज्ञापना-सुोक्त) उच्छवास पद (सातवें पद) के श्रनुसार समभना चाहिए ।
१ भगवतीसूत्र भ्र. वृत्ति, पत्रांक १५ से १९ तक
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