ओंकार उपासना | Onkar Upasana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
56
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऑओकार उपासना । १५
बिना बोले नहीं जाते, अतएव वे अपूर्णे ओर अधूरे है । अवण
का उच्चारण सन वणोके उच्वारणमे रमा इआ है, यहां तका कि
शब्दमात्रे अवर्णकी वियमानता है, इसटिए् अवणै सब वर्णो
और सब दाब्दोंगें व्यापक है । व्यापक वस्तु ही महान होती है|
अतएव अवर्णं पूणं व्यापक, ओर महान है । अध्यात्म वादमे
अ से ओम् बनता है 1 नसे वणैमाखमें अवण पूणे वर्ण है,
अन्य सरि वर्णौमि व्यापक है, ओरं अन्य सव वर्णेति महान है,
ऐसे ही ओम स्वरूपम पूर्णं है । किसी मी पदार्थकी अपेक्षा
नदीं रखता । अन्य सरे पदायै ओमूके अश्रित हैं । वर्णोंमें
अवर्णवत् आम् सव पदा्थमे व्यापक दै । सक्ते महान ह । जो
वस्तु पूण ओर महान हो, वही आनन्दमय हो सकती है, अत
एव ओम् आनन्द स्वरूप है । पूर्णानन्दमय ही परम प्रिय स्वरूप
हो सकता है, इस लिये भक्त छोग भगवान्को परम प्रिय स्वरूप
भी कहते हैं ।
ऊपर के “ओम के सारे व्याख्यानका सारांश स्वल्प
ओर शास्त्रीय कदो कहा जाय तो ओमूका अथै, सच्चिदानन्द)
अथवा असिति, माति, प्रिय स्वरूप परमेश्वर है । ओम् भगवान्
अनन्त जीवन, अनन्त ज्ञान, ओर परम प्रेम स्वरूप है ।
'अम् › निराकार है ।
ओम् अक्षरकी आकृति कल्पित है । वह॒ परिषरतित हो
सकती है, ओर होती आ है । इस समय भी ओम् अनेक
आकृतियोंमें लिखा जाता है। मिन्न २ माषाओोंमें भी उसके
मिल २ आकार हैं । परन्तु 'ओमस' का उचारण 'ओसः की ध्वनि
~
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