विहाग | Vihag
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
886 KB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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डॉ रामकुमार वर्मा - Dr. Ramkumar Varma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उस दूर विजन में, सजनि दूर;
कोकिल का वद्द॒मधुस्नात बोल !
चातक का पी; पी, कहाँ क्ररुण,
उन्माद बढ़ाता था श्रतोल !
बह उठती सुख दायिनी बतः
सखि, बीत गई वड सुभग रात !
खोले निकुझ के द्वार सजनः,
बिखसते थे निज श्वासनफूल !
में अपने इन उच्छुवासों में;
पाला करती थी इुदय - शूल !
बद्द छिपा प्राण का नवल गात;
सखि; बीत गई वद्द सुभग रात !
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