बिहार का साहित्य पार्ट - १ | Bihar Ka Sahitya (part-i)
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
317
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रा.
स्वागनकनरिष्णी मसिति के साननीय अध्यक्ष, उपस्थित भाइयों
और बहनो--
आज मंगछसंय सुहत है--सुग्बमय शुम समय है-जानन्देमय
ऊष्िनीय अवसर है । श्माज हम रोग शुचि शाख्ासी नदी के तर
पर, पविन्न हरिहर फ्त्र में, वीशापाणि भगवती भारती की भक्ति
प्रथ्चंक भाराघना करने के लिये, बहुत दियों के बाद, एकन हुए
है । चीणापाणि की उपासना से बड़फर और कोई उपासना नहीं है।
इससे अर्थ, धर्म्म, काम, सोश्च सज कुर सज ही पाठ हो जते है ।
म्रदा प्रैवी की कृपा से मनुष्य अमर होता है। आज हम भी
सर्व प्राप्ति की आकांक्षा से यहां जाये हैं । आशा है. साना की
असुकम्पा ये अवशय ही अमर हो जायेंगे ।
माता के मन्दिर में सेदभाव नहीं हे और न पक्षपात हैं।
वहां राजा-रंक. घनी-दरिक सबको समान झधिकार झौर समान
स्वतन्त्रता है । सरस्वती की सेवा पर सबका ही. समान स्वत्व हे ।
इखीने भाज बिहार ऊ छोटे-बड़े, वारक द, स्त्रीपुरुष, अभीर -
गरीब, हिन्द-सुसलमान जातिसेद, वर्णसेद, स्यक्तिमंद भूठकर
जराज्जननी के श्नीचरणों में पुप्पाजलि प्रदान करने को प्रस्तुत हैं।
सबका ही एक उद्देश्य ओर एक लक्षय है-सबका हां एक सन भार
एक माण है--सबका ही पक झान और एक ध्यान ह-सबका ही
णक स्वर सौर ण्क लान हे--सबही अपनी अपनी सामथ्य के
अनुसार साता की पुजा करने के लिये उत्तावले हो रहे है ।
भाइयों, जाज बहुत दिनो परे साता की याद आयी है । हम
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