संकलन | Sankalan

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Sankalan by महावीर प्रसाद - Mahaveer Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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হ্‌ कोरिया ओर कोरिया-नरेश कोरिया एक प्रायद्वीप है । वह जापान के बहुत निकट है । कोरिया और जापान के वीच समुद्र का एक बहत दी पतला भाग है। डसे कोरिया का मुहाना कहते हैं। जैसे फ्रांस और इंगलैन्ड के बीच “इंगलिश चैनल” है, कोरिया ओर जापान के बीच वैसे ही यह सुहाना है। इसी सन्निकटता के कारण कोरिया में रूस का सम्बजार जापान की आखो का काटा हा रहा हैं; वह उसे बहुत खटकता है। रूस का माहात्म्य यदि कोरिया में वढ़ा तो जापान की दाक्ति कुछ अवश्य ही क्षीण हो जायगी । दोनो में छेड़ छाड़ बढ़ेगी; अतणव जापान की हानि सर्वेथा सम्भव है । फिर एक ऐसी प्रबल दाक्ति का पास आ जाना, जिसकी रज्य-बु्च्धा कभी सान्त नह्य होती, दापि मंगल-जनक नहीं हो सक्ता । कोरिया का द्क्तिणी सतम जापान के निकर है और उत्तरी मड्चूरिया से मिला छुआ हैं। मच्य्यूरिया चीन का एक सूबा है; परन्तु उसे रूख ने दबा लिया है। अनेक आशाय और आश्वासन देकर भी और सन्धिपत्रों में छोड़ने की शपथ खा कर भी रूस उसे झास ही किये हुए ও




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