मनोरंजन पुस्तकमाला | Manoranjan Pustakmala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शासन-पद्धति সপ্তাহের मय मि ; पहला परिच्छेद प्रस्तावना भिन्न भिन्न देशां की शाम न-पद्धति का समभना ्रत्यंत कठिन हो जाता है जब तक कि उन देशों की सामाजिक, आशिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक दशाओं का परिज्ञान न हो । यह हम लोगों के अभाग्य की ही बात है कि हिंदी में अभी तक बहुत से युरापीय देशों के इतिहास भी नहों लिखे गए हैं। | युरापीय सभ्य दशों में आजकल प्राय: प्रतिनिधि-सत्तात्मक राज्यप्रणाली का ही प्रचार है । विस्तृत भूमिभागवाले देशों में सफलता से यही रीति चल सकती है। प्राचीन काल के यूनानी * राष्ट में प्रजा-सत्तात्मक राज्यप्रणाली की ही प्रधानता थी । प्राजक्रल उस प्रणाल्लो का प्रवलंबन करना कठिन है | इसमे संदेह भी नहों है कि प्रजासत्तात्मक राज्यप्रणालो के सिद्धांतों का यथासंभव ग्रहण करना तथा उन्हों पर चलना प्रतिनिधि- पृ्थैवचन




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