संस्कृत साहित्य का इतिहास | Sanskrit Shahitye Ka Itiyash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( 5 ) १९९८ में हा । उसे वाव ढों० सी० कुरहन राजा के मिरीक्षण में केण माथव- कृष्ण झर्मा ने वैदिक भाग ( १९४९) की और पं० थी० कृष्णमाचार्थ ने ज्याकरण আরা € १९४७ ) की सूचियाँ तेयार कीं । रायबहादुर हीराछाक शास्त्री ने मभ्य भारत और बरार के भ्रन्‍्थों की रिपोर्ट सैयार करके उ्को १९२६ में नागपुर में छुपवाया। महाराज जम्मू काश्मीर के पुस्तकारूथ की एक सूची रामचम्द्र काक और हरभट्ट शास्त्री द्वारा संपादित होकर १९२७ में पूना से छुपी । डॉ० काशझीप्रसाद जायसवार तथा ए० बनजी शास्त्री ने मिथिला के हस्त- लिखित प्न्थों की चार भागों में सूचियाँ तेयार कीं, जिनको कि १९२७ १९४० के बीच “विहार सथा उड़ीसा रिसर्स सोसायटी” से प्रकाशित किया गया। बिहार में हस्तकिखित प्रम्थो का खोजकायं सम्प्रति विहार राष्ट्रभाषा परिषद्‌ के द्वारा हो रहा है। कककत्ता विश्वविधालय से १९४३० में प्रकाशित 'आघामीज मेन्युरिकप्ट' ( भाग ३ ) के अस्तर्यत संस्कृत की पोथियों का विवरण भी सम्मिलित है। ओरि यन्टरू अम्युस्क्रिप्ट छाइमेरी, उज़न से १९३६ और १९9१ में दो सूचियाँ छुप चुकी हैं । वहाँ आाज भी यह कार्य हो रहा है। सी० ढी० दुलाल द्वारा तेयार की गई पाटन के जैन-भण्डारों की ताड़पत्नीय अन्थों की सूची को एल० बी० गांधी ले पूरा किया और वह गायकबाड़ ओरियम्टर सीरीज, बड़ौदा से १९३७ में प्रकाशित हुई | ओरियन्टर इन्स्टीव्यूट, बड़ीदा के संग्रह की एक सूची ३९४२ में छुपी । इसी प्रकार एच० डी० बेलंकर द्वारा रायछ एशियाटिक सोसाहटी, बग्बई शास्था के संग्रह की सूचियाँ १९१ ६-१९२८ और १९३० में छपी | पृथ० आई० पोरमेन द्वारा प्रस्तुत और असेरिकन ओरियस्टछ सीरीज १२ में १९३८ को प्रकाशिस संस्कृत की पोधियों की सूची भी अवरोकनीय है। बीकानेर संस्कृत छाइब्रेरी के संप्रह की एक सूची १९४७ में भी प्रकाशित हुई । १९वीं शताब्दी के उस्तरार्द्ध शक भारत में संस्कृत की जिसनी भी हस्तछिखित पोयियों की सूब्ियाँ तेयार हो सुढी थीं डन सब को क्रमबद्ध रूप में व्यवस्थित कर और बड़ी तस्परता से व्यक्तिगत घरों तथा मट-सम्दिरों में सुरक्षित प्रस्थ- संग्रहों की छान-बीन करके ढॉ० भाफ्रेक्ट ने तीन भागों में एक शृद्दद्‌ सूधी सैयार की थी, जिसका नाम है 'केटेकोगस केंटेलोगोरम! | इस बृद्दद्‌ प्रन्थ के तीनों भाग क्रमशः १2९१, १८९६ और १९०३ ई० में क्षिपमिय से प्रकाशित हुए । বাঁ आफ्रेक्ट का यह कार्य बड़े ही महत्व का है | इसी श्दद्‌ सूची को परिवर्ध्धित एवं परिवर्शित रूप में तेबार, करने का कार्य डॉ० सी० कुन्दन राजा और হাঁ ই হাতের ने क्रिमा। इन दोनो निहतो के ইউ এস নিস লিগা এর উপাসনা পপিমানীল के जगत करे जा উর এত ফিল ¢




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