श्रीमद्भगवद्गीता | Shrimadbhagwargit

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Shrimadbhagwargit by बहादुर सिंह जी - Bahadur Singh Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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, श्रीमान्‌ राव बहाहुरासिंहजी का पारिचय , स्वाघीनता की वलिवेदि पर स्वेस्व न्योछावर करनेवाले सीलोदिया बंशके दीपक महाराणा घतापकों सभी इतिहास चेत्ता जानते हैं | हमारे चरित नायक का जन्म उसी महा, पुरुष के वंश में हुआ है, आप महाराना प्रतापके दश कुमारो में चतुंथ राजकुमार की ६ पीढी में उत्पन्न होने वाले বব বাঘা আঁ वीर केशरी देवी खिदजी से सवत १६१४में पेवा इषः ह इक्त सरदार अर्थात्‌ श्रीमान्‌ राच चदादुर सिदजी अपने चंशञ्‌ सशी वीरता उदारता चिद्रत्ता गुण याहिता सत्‌ धरियता दयता ईश्वर भक्ति कर्तव्य निष्ठा आदि सभी गसो से भपित ई জানু की काय्यं पडतासे सन्तुष्ट होकर दृटिश गवन्म॑र्ट ने चार्पुकोः स्वर्ण पदक प्रदान कर गण आहिताका परिचय दिया है आपने औमहाराडा साहिब सतर्वो पाधि मूषित परम नीतिज्ञ रामसिंद्दजी महोदय के शासन कालले लेकर अनेक उत्तर दायिल पूरे पदों पर जैसे पुलिस विभाग शिकार खाना आदि पर सर्वोच्च अआफिखर रदकर कायं क्रिया है श्राप ख्यदा छत काय्यं यशस्वी रहे हैं श्रीमद्वराजा रामसिदजी सेलेक्र धीमहाराजासवाई मान सिंदजी के खुब्यवस्थित प्रशस्य शासन कालतक खुदीघे समय में कमी कर्तेव्य परायणतासे वच्नित न हुए प्रत्युत सर्वदा यशो भाजन बने आपकी सेवाओं से मद्दाराज धिराज़ों को' सबेदा




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