मिटटी सभी रोगों की रामबाणऔषधी है | Mitti Sabhi Rogon Ki Ramvan Aushdhi Hai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मिट्टी सवेश्र8 उन ( लेप ) है । आज कल सेकड़ों तरह के कृत्रिम खरचीले उन्नटन ओर - लेप चल रहे हैं. जिनमे बाहर चम व भड़क के सिवा कोई लाम नहों होता और হাতা को उल्टी हानि होती है । इतना ही नहीं द प्रक्ृति-विरुद्धे लेप उबटन आर्दि से खाल कमजोर होकर खद्‌ बद्‌ | हो जाते दै । परन्तु दमाय स्वाभाविक प्रकृति-दत्त मिट्टी सब से _ न अच्छा उबटन है। इससे शर्रर को जो अपार लाभ होते है, बे कंहने में नहीं आ सकते | या काली या भूरी मिट्टी या भूरी मिद्‌टी या बा लू साफ जगह | चिकनी पीली या काली या भू | स फ़ ह से लेकर गीली. कर उन = जात कि गीली करके उबठन की तरह सार शरर पर सं लगा लो । कोड हिस्सा भी ऐसा न रहे जहा উল ল लगे । फिर धूप में बेठ _ ८ जाओ | बार बार गीली मिद पतला करके शरीर पर लगते रो यहां तक कि खाल कहीं से भी दिखाई न दे । षहुत गाड़ी লব लगाओ धूप में बेठ जाओ या लेंठ जाओ । १८ मिनिट से लेकर १ घंटे तक बैठिये जितनी হু सुदाय । मिट॒टी सूखने पर खिचाव करेगी, कुछ आपको कष्ट सा होगा, पर चिन्ता नहीं यह एक प्रकार _ का तप है जिसंका परिणाम शरीर के लिए অর্ভা হা लाभदायक होगा। ৫৯ - भिर्ठी सूख जाने पर ठंडे पानी से अच्छी तट स्नान कर | लीजिये \ मिट्टी सवर धुल जावे । यह्‌ নিভু হা उबटन ( लेप ) थि. पुर्वेक हमेशा करते रहिए । इससे जापका चत गुलाब के फूल की तरह सुन्दर हो जावेगा । समी प्रकारके दागः छः षदा बन




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