मिटटी सभी रोगों की रामबाणऔषधी है | Mitti Sabhi Rogon Ki Ramvan Aushdhi Hai
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
36
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about युगलकिशोर चौधरी - yuglakishor Chaudhary
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मिट्टी सवेश्र8 उन ( लेप ) है ।
आज कल सेकड़ों तरह के कृत्रिम खरचीले उन्नटन ओर -
लेप चल रहे हैं. जिनमे बाहर चम व भड़क के सिवा कोई लाम
नहों होता और হাতা को उल्टी हानि होती है । इतना ही नहीं द
प्रक्ृति-विरुद्धे लेप उबटन आर्दि से खाल कमजोर होकर खद् बद् |
हो जाते दै । परन्तु दमाय स्वाभाविक प्रकृति-दत्त मिट्टी सब से _ न
अच्छा उबटन है। इससे शर्रर को जो अपार लाभ होते है, बे
कंहने में नहीं आ सकते |
या काली या भूरी मिट्टी या भूरी मिद्टी या बा लू साफ जगह |
चिकनी पीली या काली या भू | स फ़ ह
से लेकर गीली. कर उन = जात कि गीली करके उबठन की तरह सार शरर पर
सं लगा लो ।
कोड हिस्सा भी ऐसा न रहे जहा উল ল लगे । फिर धूप में बेठ _ ८
जाओ | बार बार गीली मिद पतला करके शरीर पर लगते रो
यहां तक कि खाल कहीं से भी दिखाई न दे । षहुत गाड़ी লব
लगाओ धूप में बेठ जाओ या लेंठ जाओ । १८ मिनिट से लेकर
१ घंटे तक बैठिये जितनी হু सुदाय । मिट॒टी सूखने पर खिचाव
करेगी, कुछ आपको कष्ट सा होगा, पर चिन्ता नहीं यह एक प्रकार
_ का तप है जिसंका परिणाम शरीर के लिए অর্ভা হা लाभदायक होगा।
৫৯
- भिर्ठी सूख जाने पर ठंडे पानी से अच्छी तट स्नान कर |
लीजिये \ मिट्टी सवर धुल जावे । यह् নিভু হা उबटन ( लेप )
थि. पुर्वेक हमेशा करते रहिए । इससे जापका चत गुलाब के
फूल की तरह सुन्दर हो जावेगा । समी प्रकारके दागः छः षदा
बन
User Reviews
No Reviews | Add Yours...