नेहरुजी की वाणी | Nehruji Ki Vaani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
265
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११ भारत ओर विश्व
पीछे बहुमतकी सहमति और सदूभावना हो । विधान-परिषदमें
हम इसी इरादेसे जायेंगे कि हम विवादप्रस्त मामलोंमें भी
समान आधार दूद् सकं और इसी लिये जो कुछ हुआ है और
जो कुछ कठोर शब्द् कटे गये है, उनके बावजूद भी हमने सह-
योग का द्वार खुला रखा है । हम उन्हें भी, जिन्हें हमसे मतभेद
है दावत देते हैं कि वे हमारे बराबरके साथी बनकर विधान-
परिपद में आये । वे किसी भी तरह अपनेको बंधा हुआ न
सममं । हो सकता है जब हम मिल कर समान कायमिं जुरे तो
मोजूदा अड़चनें নূহ हो जायें ।
हिन्दुस्तान आज आगे बढ़ रहा है और पुराना ढाँचा बदल
रद्दा है । बहुत देर तक हम दूसरोंकी कठपुतली बने जमानेकी
रफ्तारको बेबस हुए देखते रहे । आज हमारी जनताके हाथमें
ताकत आ गई है और हम अपना इतिहास अपनी इच्छाके
अनुकूल बना सकेंगे। आइये हम सब मिलकर इस महान्
काय में जुट ओर हिन्दुस्तानको अपने दिलका तारा बनायें--वह
हिन्दुस्तान जो राष्ट्रोंमें महान् ओर शान्ति तथा प्रगतिके कामो-
में सबसे आगे होगा । द्वार खुला है ओर भविष्य हम सबको
बुला रहा है । हार और जीतका तो सवाल ददी नदीं उठता,
क्योंकि हम सबको मिल कर साथियोंकी तरह आगे वढ़ना दे ।
या तो सबकी साथही जीत होगी. नहीं तो सभी गड्ढेमें गिरेंगे।
असफलताका क्या काम ? आइये हम सब मिलकर सफलताकी
ओर, पूर्ण स्वराज्यकी ओर ४० करोड़ जनताके कल्याण और
आजादी की ओर बढ़ें | जयहिन्द !
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