बंगला के आधुनिक कवि | Bangla Ke Adhunik Kavi

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Bangla Ke Adhunik Kavi  by मन्मथनाथ गुप्त - Manmathnath Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बंगला के आधुनिक कवि ७ पाश्चात्य प्रभाव, किन्तु. ... . . कबीन्द्र के प्रति कोई असम्मान न करते हुए मेरा यह्‌ विचार हे कि आधुनिक वँगला साहित्य पर पाश्चात्य प्रभाव को श्री मोहितलाल मजुमदारने इससे कहीं अच्छी तरह समम्काया है। मोहितलाल स्वयं एक प्रतिष्ठित वैँगला कवि है | “उन्होंने लिखा है लेकिन इस बात को भूलने से नहीं चलेगा कि यह साहित्यरस चाहे कितना भी उत्कृष्ट हो यदि उसको भाषा ने हमारे हृदय को स्पश न किया हो, यदि उसके भाव तथा कल्पनाओं ने हमारी रसपिपासा का उद्रेक भर न कर हमारे साथ मार्मिक सम्बन्ध की सृष्टि न कर पाई हो तो वह हमारा साहित्य नहीं हुआ | विदेशी भाव तथा कल्पनाओं को हम विदेशी साहित्य में भी उपभोग करते हैं, किन्तु उनसे हमारा मार्मिक सम्बन्ध स्थापित नहीं हो पाता, तभी तो विदेशी सुसाहित्य का अनुवाद ही स्वदेशी साहित्य की मयादा प्राप्त नहीं कर पाता, हमें प्रथक राष्ट्रीय साहित्य की जरूरत पड़ती है । इस प्रारंभिक युग में जिन लोगों 'ने विदेशी भावों, कल्पनाओं तथा शेली को अपने में जज्ब कर लिया, अथात्‌ उनसे अनुप्रेरणा लेकर अपने लिये पक स्वतन्त्र कल्पनाकर उसमें अपनी स्वतन्त्र प्रतिभा की जान फूक पाद्‌ वे ही इस युग के জপ ই | सजन करने की इसी शक्ति को हम दिव्यशक्ति कहते ই 1% साहित्य ओर जाति की प्रतिभा “यहीं पर साहित्य के साथ राष्ट्रीयता का सम्बन्ध स्पष्ट हो जाता है। कवि की आत्मा केवल एक निर्विशेष म[नवात्मा नहीं हे। रूपकी जो पिपासा कवि प्रकृति की स्थायी सम्पत्ति है, जिसके वशवर्ती होकर कवि के भाव कलामय हो जाते हैं, और निविशेष विशेष मे परिणत हो जाता है, कवि का वह कविधमं एक विशिष्ट प्राण का द्योतक है। प्राण का यह विशिष्ट स्वरूप है, तभी वे भाव कलामय रूप में प्रकाशित हो सके | इस विशिष्ट प्राशधर्म के बगेर




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