उत्तमी की माँ | Uttami Ki Maa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उत्तमी फी मां
उत्तमी के पिता बाबू दीनानाथ জলা की मृत्यु चालीस वध की अवस्था
में हो गद्दे थी। परिवार-बिरादरी और गल्ली-मुहल्ले के सभी लोगों ने उनकी
असमय, भरी जवानी में मृत्यु पर शोक किया और उत्तमी की मां के प्रदि
सहानुभूति प्रकठ की; परन्तु विपत्ति का कितना बढ़ा पहाड़ बेचारी विधवा पर
टूट पढ़ा था, इसे तो आहिस्ता-आ्राहिस्ता उसी ने जाना |
बाबू दीनानाथ का जड़का ब्रिशन तब एफ० एस० सी» में पढ़ रहा था |
उत्तमी की सयाद एक वषं पटले, तेरह वपं की श्राय में, करमचंद सर्राफु के
लड़के जयकिशन से दो चुकी थी । करमचंद सेठ को पक्षी केवल अच्छी जात
ओर उत्तमी का िलतती कली जेसा रूप देल कर ही संवुष्ट हौ गई थी। बाबू
दीनानाथ खन्ना के यहाँ से बड़े मारी दाज-दहेज की आशा तो नहीं थी, परन्ठ
उनके ঘহান की प्रतिष्ठा तो थी | उनके दादा और पिता दोनों के समय ही
पउच्ची-गत्ली? के खन्ना ज्लोगों का बड़ा नाम था। उत्तमी को सगाई के समय
लड़के वालों ने कहा था--“ब्याह की कोई जल्दी नहीं है। हमारा लड़का মী
पट् रहा है | कम-से-कम बी० ए.० तो पास कर ही ले |”
विधाता ने उत्तमी की माँ के लिये घथ्नाओं कान जानै कंवा व्यूह रचा
था | उसके पति की मृत्यु के नी मास बाद लाहौर में शीतला का मयंकर प्रकोप
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