चींटी | Chinti

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Chinti by नारायण प्रसाद अरोड़ा - Narayan Prasad Arora

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५ ) मरे से दूसरे कमरे मे ' ले जाया जाता है। कभी-कभी इल्लों को धूप-स्नान कराने के लिए बादर भौ निकाला जाता है । जव कथो बिल से कोई विन्न-बाधापं उषरस्थितहेतीदहैतोशीघ्रदीसारे अण्डे-बच्चों के किसी सुरक्षित स्थान मे पहुँचा दिया जाता है | मधु-सक्खियों की यंत्र सहदश कार्येप्रणात्ञी से चींदियों की इस व्यवस्था में प्रत्यक्ष रूप से एक सीधी व्यवस्था रहती है और अप्रत्यक्ष रूप से यह भी लाभ रहता है कि श्रमिकों का बच्चों से स्थायी ओर घनिष्ट सम्बन्ध रहता है । परिणाम स्वरूप उनके मन के विकास पर इस सम्बन्ध का प्रभाव पडे बिना नहीं रहता । अपने असहाय बच्चों से लगातार सम्बन्ध रखने के कारण यदि उनकी दाइयों मे बहुत से सामाजिक गुण उत्पन्न हो गये है, तो डबके स्थानीय स्वभाव और उतपन्न होने वाला परिस्थितियों से निकट सम्बन्ध रखने के कारण उनसे समझ तथा जुटने की शक्ति उत्पन्न होने मे सहायता सिल्ली हैे। इसी विशेष बात को बाबत पचास वर्ष हुए 115917285 महाशय ने कहा था कि 'प्रथ्वो पर ऐसा कोई सम्बन्ध नहीं है. जिससे निश्चित सूचवा न प्राप्त हाती हो 1 इसके साथ दही हम यह भी कह सकते हैं कि जिन कठिनाइयों ५र सदा विजय प्राप्न की जाती दै उनसे सृ मवम के कामों मे जुटने की शक्ति मे अवश्य वृद्धि हाती है। तनिक জানি से कि उस चींटी के लिए थोड़ी-ली घास कितना वडा सघन बन है जो अपना शिकार घसीटे लिए जा रही है| या एक छोटा-सा नाला कितनो बड़ी गड्ढम है । इसके अतिरिक्त हवा में रहने वाले जीवधारियों को अपेक्षा पृथ्वी पर रहने वाले जीबों के लिए स्थूल पदार्थी का अयेग करना अधिक सरल है। वायु मे विचरने वाले - जीवों ( ससलतन सघु-मक्खी ) के। जब अपना घोंघला वनाना




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