महादेवभाई की डायरी (द्वितीय भाग) | Mahadev Bhai Ki Dayeri Vol २

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Mahadev Bhai Ki Dayeri Vol २  by नरहरी - Narahari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ই उस समय की अदभुत जाग्रति और चेतना का वर्णन इस डायरी में हमें देखने को मिलता है। अफसोस इतना ही रह जाता है कि इस काछ में महादेवभाई पूरे समय गांधीजी के साथ नहीं रह सके थे | अप्रैल १९१९ में हुए पंजाब के अत्याचारों के वाद गांधीजी को ठेठ अक्तूबर मास में वहाँ जाने की इजाजत मिली । सगर उस वक्त महादेवभाई मोतीझिरे की बीमारी से अस्त थे, इसलिए साथ नहीं जा सके | वे कोई चार महीने विस्तर पर पड़े रहे | इसलिए अमृतसर की कायस म तिक महाराज के साथ के उस भव्य दृश्य का महादेवभाई की लेखनी का वर्णन ह्मे नदीं मिल सका | इसके सिवा गांधीजी के कहने से वे कुछ समय दासबावू के साथ और अधिकांश समय पंडित मोतीललजी के साथ रहे थे, इसलिए, उस समय की डायरी हमें नहीं मिलती | महादेवभाई की डायरी का यह द्वितीय खण्ड हण्टर-कमेटी के सामने गांधीजी की दी हुई शहादत से शुरू होता है ओर अतहयोग-आंदोल्न के निमित्त उनकी अचि भारत-यात्रा के सिलसिले में नागपुर-कांग्रेस के पहले तक का विवरण संकल्ति है । पहले खण्ड की तरह इस खण्ड में भी परिशिष्ट में गांधीजी की दो खुली चिटिठयाँ दी गयी हैं, जिनमें बताया गया है कि किस प्रेरणा से प्रेरित होकर उन्हें ब्रिटिश-साम्राज्य की वफादारी त्यागनी पड़ी और असहकार के मैदान में कूदना पड़ा | अन्त में इम आरंभ के शब्दों को कि “इस डायरी के पन्‍ने-पन्‍्ने पर नींद में सोये देश को जगाने के गांधीजी के उत्कट प्रयत्नो के दम दर्शन होते हैः, पुनः दुहराते हुए पाठकों को उन्हें पढ़ने के लिए. मुक्त कर इस प्रस्तावना से विराम ले रहे हैं | --चरहटि परीख




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