महाभारत भाषा कर्णपर्व | Mahabharat Bhasha Karnaparv

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Mahabharat Bhasha Karnaparv by पं. कालीचरण - Pt. Kalicharan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कएंपव । १३ भोजवंशीय कतवर्मा आपकेही निमित्त युद्ध की इच्छा करनेंवाला ग्र्भी विद्यमान है 5 बुद्ध में दृराधर्ष आपके पुत्रों का एव सेनापति शल्य जो अपना पचन सत्य करने को अपने भानजे.पारडवों को स्यागकर £ जिसने सुधिक्ति के आगे बुंद्ध में कर्ण के परक्रमके नाश करने की प्रतिज्ञा को पूर्ण किया वह अनेय इन्द्र के समान पराक्रप्ती आपके निमित्त लड़ने की इच्चा करनेवाल्ा नियत है १० ओर अपने कुलसमेत হালা गान्धारः आजानेय, सिन्धुदेशीय, पर्वतीय, काम्बोजदेशीय, सिंधी, वनायुज, नदीज इत्यादि ११ नेक प्रकार के घोड़ों समेत तेरे लिये युद्धाकांक्षी वतमान हैं १२ हे कोखेन्द ! राजा कैकेय का पुत्र महारथी उत्तम घोड़ों समेत पताकायक्क रथपर चढ़कर आपके -निमित्त युद्ध का झमिलापी अभी वर्तमानहे १३ इसीप्रकार कोखोमें हावी दत्र नाम आपका पुत्र अरिन ओर सूर्य के वर्ण रथपर सवार होकर ऐसा-वर्तमानहे जैसे कि बादलोंसे राहितस्वच्छ आकाशर्मे सर्य प्रकाशमान होताहै १४ भाइयों में नियत दुर्योधन सिंहके समान स्वभाववाला युद्धाभिलापी सुवर्णजरित र्थ - की सवारीमें नियंतहे १४ वह पुरुषोमें बढ़ावीर सुवष जदित कवचणादी कमल के समरन प्रकाशित লিখ अग्निके समान तुर्य सजाओंनें ऐसा शोभाय्मान हुआ १६ जेसे कि बादलों में सूर्यका प्रकाश होताहे इसीप्रकार प्रसन्नवित्त युद्धा- भिलाषी ढाल; तलवार धारणकिये आपके पुत्र षेण, चित्रसेन शरीर सत्यतेन यह तीवों वियतहें ६७ हे भसतपंभ ! शीलवार्‌ उग्रशश्रधारी शीघ्रभोजी ग़ज- मार जरासन्धङ प्रथम पुत्र अहद्‌ चित्रायुध, श्र॒तवर्मा, जय, शल्य, सत्यतत, दुःशल यह सब नरोत्तम सेनासमेत नियत हैं १८ ओर प्रत्येक युद्धमें शत्रुओं का हन्ता शुर मे प्रतिष्ठित केतवों का राजा राजकुमार रथ घुड़चढ़े हाथी ओर पत्तियों समेत चढ़ाई करनेवाले १६ ओर आपके निमित्त युद्धाभिलाषी वीर श्तायुः घतायु, चित्राङ्गद ओर चित्रसेनभी अभी युद्धमे नियत हे २० यह सब युद्धामिलाषी प्रहारकता प्रतिष्ठावान्‌ सत्यपि नरोत्तम नियत ओर क्का पुत्र सत्यप्रतिज्ञ युद्धकरनेका उत्सुक भी अभी नियतहे २१ ओर कके दृष दो पुत्र उत्तम शद्रधारी हस्त लाघवीय महावली हें वह आपके निमित्त बुद्धा- भिलाभी वीरों के बैपेहुए व्यूहमें वतमानहें वहभी साधारण अल्प पराक्रामयों से कृषिनतापूर्वक विजयहो नेवाले हैं २२ हे राजर्‌ ! इन अनेक असंख्य प्रभाववाले




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