ध्वनि विज्ञान | Dhvani Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
393
श्रेणी :
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गोलोक बिहारी - Golok Bihari
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सुनीति कुमार - Suniti Kumar
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[| ड |
व्यवहार होता है।' फिर ज़ो विद्यार्थी आई० पी० ए० के सकेतों से
परिचित है पाइक प्रणाली के सकेतो का अनुसरण करने मे उन्हें कोई
कठिनाई नही होती। इन सब बातो के अतिरिक्त पूना मे करों
विश्वविद्यालय तथा ह॒र्बर्ड विश्व-विद्यालय, अमरीका से आये हुए दो
भाषा-तत्वविद डॉ० गर्डन, एच० फेञ्रर बेक्स तथा डॉ० चार्ल्स ए०
फरम्यूसन दो मित्रो ढ्वारा भी मेरी उक्त मान्यता को पोषण
मिला । उन्होने सुझाया कि भारत की वअस्तुस्थिति को ध्यान मे
रखते हुये इस पुस्तक मे हिन्दी या पाइक के सकफतो के स्थान पर सवं-
मान्य आई० पी० ए० के सकेतो का उपयोग श्रधिक उपादेय होगा ।
डा० सुनीति कमार चटर्जी ने भी ग्रपने एक लेख मे भारतीय भाषाभ्नो
मे ध्वनिलिपि श्राई० पी० ए० के सकेतो के अधिकाधिक व्यवहार के
लिए सुभाव दिया है।*
०.१० इस पुस्तक मे प्रयुक्त आई० पी० ए० सकेतो के विषय मे
एक वात यह कहनी है कि अ्रधिकाँश अक्षर अनुपातिक होते हुए भी
प्रिन्टिग' सुविधा के लिए कही कही आकार मे छोटे बडे हो गये है ।
पाठक इन्हे देखकर दुविधा मे न॒ पडे। इनके आकार मे शअन्तर होते
हुए भी मूल्य मे कोई अन्तर नहीं है। उदाहरण के लिए [7059]
शब्द में [1] छोटा इसलिए है क्योकि उसे आक्षरिक दिखलाना है,
जिसमें एक चिन्ह नीचे लगाना आवश्यक है। दोनो उतने ही स्थान
में आने चाहिए जितने मे साधारण [2] ्राता है । इसलिए [71] को
छोटा करना अनिवार्य हो गया। इस प्रकार के प्रक्षर इस पुस्तक मे
और भी मिल सकते है परन्तु उनकी सख्या नगणय होगी ।
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३. 47 9. 4. (थु, 2000676 वृ1208611008
170 {06 [18001681 20. 00101980159 प्त ০৫
10071 1.29 प2.68; [ पवा 1102 पाऽ68 ০]. 17,
1987, 9 228.
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