जैन धर्म का परिचय | Jaindharm Ka Parichay

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Jaindharm Ka Parichay by महावीर - Mahaveer

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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०...» जैनधर्म का- परिचय परितन ` हाँ | यह बात अवश्य ই किं समय समय पर कुछ ऐसी प्राकृतिक . (स्वाभाविक-कुदरती) घटनाएँ हुआ करती है. जिससे इस जगत के किसी : भाग में विनाश या निर्माण (बसाव-तयी उत्पत्ति) का टस्य (नजारा) आ खडा होता है । जैसे कि प्रथ्ची तल्न में (जमीन के भीतर) गन्धक कोयले की खानों आदि में भारी गेंस पंदा हो जाने पर उस गंस के प्रथ्वी से बाहर निकलते समय भकमस्प फा होना जिससे कि प्रथ्वी बहुत जोर से हिलकर उथल पुथल कर डालती हें, बडे बडे नगर नष्ट हो जाते है, कदी नदी खोत आदि सूख जाते हैं, कहीं पर जलधारा. निकल आती है, कहीं पएथ्वी समुद्र मेंडब जाती है और कहीं समुद्र में- से टापू [सूखी ज़मीन] निकल आते है, हज़ारों लाखों मनुष्य क्षणभर में काल के गाल में चले जाते हैं, पहाड टूट कर गिर पडते हैं। कभी ज्वालामुखी [आग डगलने वाले | पहाडों के एक दस फूट पडने से आस प्रास के नगर, गांव उस पहाड से निकलने वाले लावा [पिघले हुए पत्थर आदि की बहने वाली-धारा] उड उड कर दूर तक गिरने वाले पत्थर, राख आदि में दबकर एसे नष्ट हो जाते हैं कि सेकड्डों वर्षो तक उनका चिन्ह तक नहीं सिलता, उनमें रहने वाले लाखों मनुष्य, पशु, पत्ती उसीमें रह जाते है, जेसे कि चार सौ वषं पहले लगभग एक लाख की जनसंख्या संख्या वाला इटली फा पाम्पियाई नगर ज्वालामुखी पव॑त से निकली हुई राख में ऐसा समूचा दब गया था कि ३००-४०० चप तक उसका पता मी न चत्ता फिर इस शतावदी में कुआ खोदने पर उसका पता चला । जेसे यहां पर गर्मियों से शिमला, म सूरी आरि ठंडे पहाडी स्थानां पर जनता सेर करने जाती है उसी तरह इटली के लोग उस पहाडी नगर पंपियाड से सेर करते आये हुए थ्रे, शाम का समंय था यकायक अन्धेरा छा गया और ज्वालामुखी पवत्त के उड़े हुए पत्थरों तथा गम राख से उस नगर फे प्रायः. समस्त प्राणी मर गये -ओर राख से सारा नगर दब.गया गया ।




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