हम कैसे जिये | Hum Kaise Jiye

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“7 কাবা? चिदानन्देक रूपाय जिनाय परमात्मने । परमात्म प्रकाशाय नित्यं शुद्धात्मने नसः ।१। चिदानन्देकसद्‌भावं प्रसात्मानसयव्यम्‌ । प्रममामि संदा शान्त शान्तये सवं कमंणाम्‌।।२।। यदनव्यक्तसवोनां व्यक्तं सद्रोध चक्षुषाम्‌ । सारं यत्वं वस्तूनां नसस्तस्मं चिदात्सने ।३। अर्थ--जो परमात्मा चिदानन्द स्वरूप है, जो समस्त कर्मों को जीत लेने से अथवा उससे सदा अस्पर्श होने से जिन अथवा मुक्त है तथा जो नित्य है ऐसे शुद्ध आत्मा को मैं अपने परमात्मा के प्रकाशार्थ नमस्कार करता हूँ ॥1१॥ जिस परमात्मा के चेतन स्वरूप अनुपम आनन्द का सद्भाव है तथा जो अविनश्वर एवं शान्त है, उन प्रभ को मैं अपने सर्व कर्मों की शान्ति के लिये नमस्कार करता हूँ ॥२।॥। जो चेतन आत्मा अन्नानी प्राणियों के लिये अस्पष्ट तथा सम्परज्ञानियों के लिये स्पष्ट है, समस्त वस्तुओं में श्रेष्ठ है, ऐसे उस चेतन आत्मा के लिए नमस्कार हो ॥1४॥।




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